तेजी से फल-फूल रहे इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट के लिए मानकों की समीक्षा के लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति बाजार कारोबारियों के सुझाव जानने के लिए 15 जुलाई को बैठक करेगी।
ऑप्शन सेगमेंट में रिटेल नुकसान और तेज वृद्धि की चिंताओं के बीच, बाजार नियामक बदलाव लाने पर विचार कर रहा है, जिससे मौजूदा पेशकशों और ढांचे में व्यापक संशोधन को बढ़ावा मिल सकता है।
पिछले महीने, सेबी ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पदमनाभन की अध्यक्षता में एक कार्य समूह गठित किया, जिसका मकसद डेरिवेटिव्स सेगमेंट में निवेशक सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन बढ़ाना है।
समिति के एक सदस्य ने कहा कि अगले सप्ताह होने वाली बैठक में, समूह विभिन्न हितधारकों के सुझावों पर विचार करेगा, जिनमें ब्रोकरेज फर्में और स्टॉक एक्सचेंज तथा डिपॉजिटरी जैसे मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (एमआईआई) शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, ब्रोकरों की संस्था एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेंस मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) अपने सुझाव समिति को सौंपेगी।
सुझावों में साप्ताहिक विकल्पों की समीक्षा, एक सप्ताह के दौरान कई एक्सपायरी को कम करना, स्ट्राइक प्राइस सीमित करना, पोजीशन लिमिट की इंट्रा-डे निगरानी, मार्जिन जरूरत में वृद्धि और ऑप्शन प्रीमियम का अपफ्रंट कलेक्शन शामिल हैं।
इस घटनाक्रम से अवगत लोगों का कहना है कि ब्रोकरों की संस्था ने इस मुद्दे पर सात-सूत्री सुझाव सौंपने की योजना बनाई है।
मौजूदा समय में, दोनों एक्सचेंजों द्वारा कई इंडेक्स डेरिवेटिव सप्ताह भर में अलग-अलग दिनों पर निपटान करते हैं। इन ऑप्शन उत्पादों में निपटान के दिन कारोबार की मात्रा बढ़ जाती है।
अपनी पिछली बोर्ड बैठक में, बाजार नियामक ने एफऐंडओ सेगमेंट में सिंगल स्टॉक के लिए अधिक कड़े पात्रता मानदंड को मंजूरी दी थी। इस संशोधन की वजह से डेरिवेटिव में दो दर्जन से ज्यादा शेयरों में बदलाव आएगा। इस कदम से एफऐंडओ में शेयरों की संख्या भी मौजूदा 182 से बढ़ जाएगी।