इस साल की पहली छमाही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास करीब 50 कंपनियों ने अपना रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस मसौदा (डीआरएचपी) दाखिल कराया है। डीआरएचपी सेबी के पास जमा किए गए शेयर विवरण पत्र का मसौदा होता है, जो आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये पूंजी जुटाने की दिशा में पहला कदम माना जाता है। प्राइम डेटाबेस द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक 2007 के बाद से पहली बार इतनी बड़ी तादात में डीआरएचपी जमा किए गए हैं।
डीआरएचपी की बड़ी संख्या या इतने अधिक आईपीओ लाने के कंपनियों के इरादे से लगता है कि बाजार के अच्छे दिन आने वाले हैं। मगर निवेश बैंकरों का कहना है कि इस संख्या की वजह 2021 में एक के बाद आईपीओ आना है। मगर बाजार की अस्थिर परिस्थितियों, बाजारों में गिरावट और नकदी की कमी के कारण कई कंपनियों को निर्गम लाने की योजना टालनी पड़ सकती है।
सेंट्रम कैपिटल में पार्टनर (निवेश बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘आईपीओ लाने की तैयारी डीआरएचपी जमा करने से कम से कम छह महीने पहले शुरू हो जाती है। ज्यादातर मामलों में यह काम पिछले साल शुरू हो गया होगा, जब बाजार चढ़ रहा था। इस समय बाजार बहुत चुनौती भरे दौर में है। निर्गम दस्तावेज जमा करने वाली कई कंपनियां शायद जल्द आईपीओ नहीं ला पाएंगी।’
वैश्विक मंदी की आशंका के कारण इस महीने सूचकांक 13 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए थे। बाजार में मौजूद चुनौतियों का असर आईपीओ लाने और उनके लिए दस्तावेज दाखिल करने पर नजर आने लगा है। जून में कोई भी कंपनी अपना आईपीओ नहीं ला पाई। अगस्त 2020 से यह पहला महीना था, जब एक भी आईपीओ नहीं आया। इस साल पहले चार महीनों में हर महीने औसतन 10 डीआरएचपी आ रहे थे मगर मई-जून में केवल चार-चार मसौदे ही दाखिल किए गए।
इक्विरस कैपिटल के प्रबंध निदेशक और इक्विटी कैपिटल मार्केट के प्रमुख एस वेंकटराघवन ने कहा, ‘जहां तक आईपीएल लाने का सवाल है तो उसमें मंदी चल रही है। हाल में सूचीबद्ध हुए कुछ बड़े आईपीओ का फीका प्रदर्शन भी दिक्कत बना हुआ है। इसलिए उनमें से कई की दिलचस्पी इस समय नए आईपीओ में निवेश करने में नहीं होगी।’आईपीओ के दस्तावेज की ही तरह पहली छमाही में आईपीओ के जरिये रकम भी ज्यादा जुटाई गई थी। इस साल अब तक आईपीओ से रिकॉर्ड 40,311 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले लगभग 50 प्रतिशत अधिक है। हालांकि इसमें 20,500 करोड़ रुपये भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ के ही हैं।
वेंकटराघवन ने कहा कि दूसरी छमाही में कंपनियों को आईपीओ लाने के मौके मिल सकते हैं। मगर देखना होगा कि कौन सी कंपनियां इनका फायदा उठा पाती हैं। प्राइम डेटाबेस के अनुसार 66 कंपनियों को आईपीओ के लिए सेबी से मंजूरी मिल चुकी है और वे 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने की कोशिश कर रही हैं। इनमें से लगभग 50 कंपनियों को 2022 की दूसरी छमाही में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के आईपीओ लाने होंगे वरना आईपीओ मंजूरी के बाद की एक साल की अवधि खत्म हो जाएगी।