ऑनलाइन म्युचुअल फंड (एमएफ) वितरण क्षेत्र जटिल व्यवसाय है। हालांकि इसमें संभावनाएं अच्छी हैं और इसमें शुरुआत करने वाली कंपनियों के लिए समस्याएं भी कम हैं, लेकिन राजस्व हासिल करना चुनौतीपूर्ण कार्य है, क्योंकि ग्रो, जीरोधा और पेटीएम मनी जैसी प्रख्यात कंपनियां कमीशन-मुक्त योजनाओं की पेशकश कर रही हैं। हालांकि एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो राजस्व सृजन मॉडल का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने में कामयाब रहा है। यह प्लेटफॉर्म है फिसडम।
5,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश मूल्य के साथ 4,70,000 से ज्यादा एमएफ निवेशक अपने साथ जोड़ चुका फिसडम डायरेक्ट प्लान के बजाय रेग्युलर एमएफ प्लान की बिक्री करता है। रेग्युलर प्लान वितरकों को कमीशन मिलता है, जबकि डायरेक्ट प्लान विक्रेताओं को नहीं मिलता है।
प्लेटफॉर्म की सफलता का श्रेय उसके बैंक भागीदारों द्वारा मुहैया कराई गई पहुंच को जाता है। कंपनी ने अपने ग्राहकों को निवेश सेवाएं मुहैया कराने के लिए 13 छोटे एवं मध्यम आकार के बैंकों (ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के) के साथ भागीदारी की है। कमीशन और शुल्कों के जरिये हासिल होने वाली आय फिसडम और बैंकों के बीच साझा की जाती है।
कंपनी के अनुसार, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा व्यवसाय बैंकिंग चैनल के जरिये आता है। इन भागीदारियों के जरिये होने वाला निवेश 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
उद्योग के आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022 में, इस स्टार्टअप ने (एमएफ वितरण लाइसेंस के तहत) 1,765 करोड़ रुपये के एमएफ निवेश की औसत वैल्यू के साथ 15.5 करोड़ रुपये का सकल कमीशन कमाया। स्टार्टअप की एमएफ परिसंपत्तियां पंजीकृत निवेश सलाहकार और स्टॉक ब्रोकिंग लाइसेंस के तहत भी शामिल हैं।
ब्रोकरेज फर्म अन्य निवेश सेवाएं भी मुहैया कराती है, जिनमें स्टॉक ब्रोकिंग, वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ), पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (पीएमएस) और कर समाधान मुख्य रूप से शामिल हैं।
फिसडम के सह-संस्थापक एवं मुख्य व्यावसायिक अधिकारी आनंद डालमिया का कहना है कि कंपनी यह मानती है कि ज्यादातर छोटे बैंक अपनी मजबूत पहुंच और निवेशक भरोसे की वजह से निवेश योजनाएं बेचने में सक्षम हैं।
उनका कहना है, ‘एसबीआई, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी जैसे बड़े बैंकों के विपरीत, कई पीएसयू बैंकों और निजी क्षेत्र के छोटे बैंकों के पास अपनी स्वयं की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां नहीं हैं, और उनमें थर्ड-पार्टी निवेश योजना वितरित करने के लिए दक्षता का अभाव है।’
पिछले 6 वर्षों के दौरान, फिसडम ने इंडियन बैंक, यूको बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कर्नाटका बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक, सिटी यूनियन बैंक, सूर्योदय बैंक, और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ समझौता किया है।