अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर संबंधी बयान से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में आज खासी गिरावट दर्ज की गई। फेडरल रिजर्व ने कहा कि ब्याज दरों में लंबे समय तक बढ़ोतरी होती रहेगी। इससे मुद्रास्फीति में हालिया नरमी के बाद दर वृद्धि पर विराम लगने की निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है।
सेंसेक्स 879 अंक या 2.4 फीसदी लुढ़ककर 61,799 पर बंद हुआ। पिछले दो महीने में सेंसेक्स में यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी 50 भी 245 अंक के नुकसान के साथ 18,415 पर बंद हुआ। एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस में गिरावट ने सूचकांकों की लुढ़कन और भी बढ़ा दी। अमेरिकी बाजार पर ज्यादा निर्भरता की वजह से निफ्टी आईटी सूचकांक 2 फीसदी से ज्यादा गिरावट पर बंद हुआ।
फेड के बयान ने निवेशकों को निराश किया। निवेशकों को उम्मीद थी कि फेड का रुख अब थोड़ा नरम हो सकता है, लेकिन उसने स्पष्ट कर दिया कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहेंगी। फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक मंदी की आशंका के बावजूद मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का अपना प्रयास बंद नहीं करेगा।
इस बीच बैंक ऑफ इंगलैंड और यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) ने आज देर शाम ब्याज दरों में इजाफा करने की घोषणा की। बैंक ऑफ इंगलैंड ने नीतिगत शुल्क में 50 आधार अंक की वृद्धि की है जबकि ईसीबी ने लगातार चौथी बार दर में 50 आधार अंक की वृद्धि की है। उसने आगे भी दर बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इसका भी बाजार में असर दिख सकता है।
फेडरल रिजर्व ने अपनी बेंचमार्क दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.25 से 4.50 फीसदी के लक्षि दायरे में कर दी है। पॉवेल ने कहा कि अगली बढ़ोतरी आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी। इसके साथ ही उन्होंने अगले साल दरों में बढ़ोतरी रोके जाने की अटकलें भी खारिज कर दीं।
पॉवेल ने कहा, ‘मैं दरों में कटौती के बारे में तब तक नहीं सोच सकता, जब तक कि समिति को भरोसा ना हो जाए कि मुद्रास्फीति लगातार दो फीसदी से नीचे रह रही है। मूल्य स्थिरता के लिए हमें कुछ समय तक प्रतिबंधात्मक नीतिगत रुख बनाए रखना होगा।’ फेड अब उम्मीद कर रहा है कि उसकी दर 5.1 फीसदी तक पहुंच सकती है, जबकि बाजार 4.6 फीसदी की उम्मीद कर रहा था।
विश्लेषकों ने कहा कि फेड का बयान सतर्कता भरा और उम्मीद के विपरीत था। पिछले महीने पॉवेल के एक बयान से दर में बढ़ोतरी थमने के संकेत मिले थे, जिसके बाद शेयर बाजार में खासी तेजी आई थी। अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बाजार फेड से कम सतर्क रुख की उम्मीद कर रहा था, लेकिन हुआ इसके विपरीत। अगर हम एक साल पहले की स्थिति देखें तो फेड के चेयरमैन कह रहे थे कि मुद्रास्फीति अस्थायी है, लेकिन बाजार ऐसा नहीं मान रहा था। अब फेड चेयरमैन कह रहे हैं कि दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहेंगी, लेकिन बाजार की राय इससे उलट है।
यह बहस तीसरी तिमाही में थोड़ी और बढ़ने वाली है, जिससे बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। अगर बाजार सही साबित होता है और फेड दरें बढ़ाना जारी रखता है तो लोग सोच सकते हैं कि हल्की मंदी का गहरा असर पड़ सकता है।’ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने देसी शेयर बाजार में 711 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 261 करोड़ रुपये की लिवाली की। सुरक्षित निवेश के तौर पर डॉलर की मांग बढ़ने से उसमें तेजी आई, जिसका असर रुपये पर भी पड़ा।
ब्रांडीवाइन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट में मनी मैनेजर जैक मैकिनटायर ने कहा, ‘फेड का रुख बाजार की उम्मीद से ज्यादा सतर्क दिखा। ऐसा लगता है कि वे अभी भी चाहते हैं कि वित्तीय बाजार और सख्त हों, जिसका साफ मतलब है कि वे शेयर के मूल्य में कमी करना चाहते हैं।’ सेंसेक्स में दो शेयरों को छोड़कर सभी गिरावट पर बंद हुए। इन्फोसिस 2.6 फीसदी नुकसान पर बंद हुआ, जिसका सेंसेक्स की गिरावट में सबसे ज्यादा हाथ रहा। एचडीएफसी बैंक 1.8 फीसदी नीचे बंद हुआ।