घटते निवेश और बढ़ती निकासी से अप्रैल के बाद से इक्विटी में म्युचुअल फंडों (एमएफ) का निवेश प्रभावित हुआ है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2024 के पहले तीन महीनों के दौरान इक्विटी म्युचुअल फंडों द्वारा किया गया कुल निवेश महज 2,980 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 2023 में 14,500 करोड़ रुपये का मासिक औसत निवेश दर्ज किया गया।
बीएनपी पारिबा में इक्विटी शोध के प्रमुख (भारत) कुणाल वोरा ने कहा, ‘हम गैर-एसआईपी योगदान में नरमी के संकेत देख रहे हैं, जिससे हाल के महीनों में कुछ हद तक घरेलू फंड प्रवाह प्रभावित हुआ है।’सक्रिय तौर पर प्रबंधित इक्विटी योजनाओं में शुद्ध पूंजी निवेश हाल के महीनों में कमजोर पड़ा है, भले ही एसआईपी के जरिये निवेश मजबूत बना हुआ है।
मई में, शुद्ध निवेश प्रवाह घटकर 3,240 करोड़ रुपये के साथ 6 महीने के निचले स्तर पर रह गया, क्योंकि 27,569 करोड़ रुपये (20 महीने में सर्वाधिक) की बिकवाली दर्ज की गई थी। अप्रैल में कमजोर सकल पूंजी प्रवाह की वजह से फंडों का शुद्ध संग्रह नीचे आ गया था।
मूल्यांकन चिंताओं से भी म्युचुअल फंडों द्वारा पूंजी निवेश में कमी दर्ज की गई है। मई 2023 के आखिर तक, शीर्ष-10 में से चार फंड हाउस 6 प्रतिशत से ज्यादा नकदी से संपन्न थे। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई एमएफ और ऐक्सिस एमएफ की इक्विटी योजनाओं की कुल एयूएम का 8.5 प्रतिशत हिस्सा 31 मई तक नकदी के तौर पर मौजूद था।
अपने सालाना मार्केट आउटलुक में, एसबीआई एमएफ के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) आर श्रीनिवासन ने कहा था कि फंड हाउस ने महंगे मूल्यांकन की वजह से अल्पावधि नजरिये से बाजार पर नकारात्मक नजरिया अपना रखा था। श्रीनिवासन ने कहा था, ‘हम इक्विटी पर सकारात्मक नहीं हैं। हमारा मानना है कि मूल्यांकन महंगा है। बाजार आय वृद्धि के मुकाबले ज्यादा चढ़ा है।’निफ्टी-50 का पीई अनुपात पिछले महीने के शुरू में 22 के आसपास था, जो पिछले दो सप्ताहों में बाजार में आई मजबूत तेजी की वजह से अब चढ़कर 23.3 गुना पर पहुंच गया है।
मार्च के निचले स्तरों से, सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 15 प्रतिशत की तेजी आई है। कई छोटे निवेशक इस बार भी तेजी का लाभ उठाने में नाकाम रहे। इक्विटी में डायरेक्ट रिटेल भागीदारी दिसबर 2022 के ऊंचे स्तरों से करीब 10 प्रतिशत नीचे आई है। इक्विटी म्युचुअल फंडों में घटते निवेश प्रवाह से यह भी संकेत मिलता है कि कुछ निवेशकों ने निवेश से परहेज किया है या अपने इक्विटी निवेश भुनाए हैं।
जेफरीज की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, रिटेल निवेश का प्रवाह सुधरने की संभावना है, क्योंकि पिछला प्रतिफल आकर्षक हो गया है।