घरेलू म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग ने जुलाई में नए निवेशकों की संख्या में 12 लाख की शानदार वृद्धि दर्ज की है। यह दिसंबर 2021 के बाद से सर्वाधिक है। इससे फंड निवेशकों की कुल संख्या बढ़कर 4.81 करोड़ पर पहुंच गई जो 5 करोड़ के आंकड़े के काफी नजदीक है। पिछले दो महीनों में उद्योग ने 21 लाख नए निवेशकों का स्वागत किया है। कई लोकप्रिय थीमों में नई फंड पेशकशों की लहर से नए निवेशकों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है।
मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के वाइस-चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप आनंद मोहंती के अनुसार विभिन्न जोखिम प्रोफाइलों की जरूरत पूरी करने वाले इनोवेटिव फंडों की पेशकश, बढ़ते आय स्तर और टेक्नोलॉजी के जरिये निवेश करने में आसानी, इन सभी ने नए निवेशकों की संख्या बढ़ाने में योगदान दिया है।
उन्होंने कहा, ‘निवेशक महसूस कर रहे हैं कि अगर निवेश करने में जोखिम है तो उससे भी ज्यादा जोखिम निवेश नहीं करने में है।’ फंड उद्योग ने वर्ष 2030 तक 10 करोड़ निवेशकों और 100 लाख करोड़ रुपये की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। निवेशकों की संख्या में आम तौर पर तेजी तब आती है जब नए फंड पेश किए जाते हैं, विशेष रूप से इक्विटी श्रेणी में बड़े फंडों द्वारा।
पिछले दो महीनों में एनएफओ से संग्रह मजबूत रहा है। ऐक्टिव इक्विटी क्षेत्र में 14 पेशकशों ने इस दौरान 28,105 करोड़ रुपये जुटाए। विश्लेषकों का मानना है कि मजबूत प्रदर्शन के पिछले रिकॉर्ड के हिसाब से निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ेगी।
प्रूडेंट कॉरपोरेट एडवाइजरी सर्विसेज में प्रमुख (इन्वेस्टर रिलेशंस) पार्थ पारेख ने कहा, ‘मुद्रास्फीति को मात देने वाले रिटर्न देने की क्षमता के कारण म्युचुअल फंडों को लोकप्रियता बढ़ रही है। कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज के आंकड़ों के अनुसार 2018-19 और 2022-23 के बीच शामिल निवेशकों में से 50 प्रतिशत मिलेनियल थे। यह समूह जोखिम को लेकर अधिक समझदार है और वास्तविक रिटर्न की अवधारणा समझता है।’
पैन पंजीकरण के माध्यम से विशिष्ट निवेशकों की कुल संख्या पर नजर रखी जाती है। कोविड-19 के बाद घरेलू इक्विटी बाजार में तेज सुधार से निवेशकों की संख्या बढ़ी है। फंडों और निवेश के सीधे माध्यमों, दोनों में इस वृद्धि का असर देखा गया है।
भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई ने हाल में घोषणा की कि उसका विशेष पंजीकृत निवेशक आधार 10 करोड़ के पार पहुंच गया है। खास बात यह है कि मौजूदा 1 करोड़ की वृद्धि महज पांच महीने में हुई है जबकि पहले 1 करोड़ की वृद्धि में 14 साल लग गए थे। इससे मौजूदा समय में निवेशकों की तेजी से बढ़ती भागीदारी का पता चलता है।