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तकनीकी खामियों के खिलाफ निवेशक दावों को प्रभावित कर सकते हैं डिस्क्लेमर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:31 AM IST

महेश चौहान (अनुरोध पर नाम बदला हुआ) यह मान रहे थे कि बजट के बाद बाजार में गिरावट आएगी। उसी के हिसाब से उन्होंने अपनी पोजीशन बनाई। इसके बजाय आप सभी ने यह देखा कि बीएसई के सेंसेक्स में 2,000 से ज्यादा अंकों की तेजी आई थी। यह उनके डिस्काउंट ब्रोकरेज की तरफ से तकनीकी खामी थी। उनके पास नुकसान घटाने का कोई विकल्प नहीं था। वह तभी से मुआवजे के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
चौहान ने इस प्रक्रिया के दौरान महसूस किया कि उन्होंने जिस फॉर्म में दो क्लॉज पर हस्ताक्षर किए, उनमें ब्रोकर और स्टॉक एक्सचेंज द्वारा किसी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में किसी देयता को शामिल नहीं किया गया था। इससे ऐसा कोई भी निवेशक प्रभावित हो सकता है जो 24 फरवरी को एनएसई पर हुई तकनीकी गड़बड़ी के लिए मुआवजा चाहता हो। इसमें एचडीएफसी सिक्योरिटीज और जीरोधा ब्रोकिंग को भी अलग रखा जा सकता है जिन्हें सोमवार (1 मार्च) को तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अपस्टॉक्स (आरकेएसवी सिक्योरिटीज) उपयोगकर्ताओं को 1 फरवरी को समस्याओं का सामना करना पड़ा था।
वकीलों का कहना है कि न्यायिक मिसाल के अभाव और व्यापक संस्थागत समस्याओं की वजह से निवेशकों के लिए क्षतिपूर्ति एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।  बाजार नियामक सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक एवं फिनसेक लॉ एडवायजर्स के प्रबंधन भागीदार संदीप पारेख का मानना है कि निवेशक क्षतिपूर्ति स्टॉक एक्सचेंजों और ब्रोकरों के लिए वित्तीय देयता के संदर्भ में चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, क्योंकि अदला-बदली सौदों से जुड़ी प्रतिभूतियों की वैल्यू अक्सर करोड़ों में पहुंच जाती है। उन्होंने कहा, ‘व्यवस्था प्रभावित होगी।’ उन्होंने कहा कि यही वजह हो सकती है कि तकनीकी गड़बड़ी के संदर्भ में शेयर ब्रोकरों के लिए सेबी के सर्कुलर में ब्रोकरों और एक्सचेंजों के खिलाफ दावों को अलग रखा गया है। इंटरनेट और वायरलेस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से जुड़ी ट्रेडिंग के बारे में सेबी के सर्कुलर के क्लॉज 9 में कहा गया है, ‘ग्राहक इसे लेकर अवगत होता है कि इंटरनेट पर ट्रेडिंग कई अनिश्चित कारकों से जुड़ी होती है। शेयर ब्रोकर और एक्सचेंज इसकी कोई गारंटी नहीं लेते हैं कि हर समय ग्राहक को उपलब्ध कराई जा रही सेवा किसी बाधा के बगैर मिलेगी।’
समान दस्तावेज के पृष्ठ 195 पर क्लॉज 10 में कहा गया है, ‘ग्राहक को किसी तरह के विलंब, बाधा, गैर-उपलब्धता या स्टॉक ब्रोकर की गलत कार्य प्रणाली के संदर्भ में एक्सचेंज या स्टॉक ब्रोकर के खिलाफ कोई दावा नहीं करना चाहिए।’ चौहान ने जिस फॉर्म पर हस्ताक्षर किए थे, उसमें ये दोनों क्लॉज शामिल हैं। रेगस्ट्रीट लॉ एडवायजर्स के संस्थापक एवं सेबी के पूर्व अधिकारी समित अग्रवाल ने कहा कि भारत के शेयर बाजार नियामक ने एनएसई से डिजास्टर रिकवरी साइट का इस्तेमाल नहीं किए जाने के कारण स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा घटनाक्रम में, यह समय ही बताए कि सेबी किस तरह से इस मामले को सुलझाता है और बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर की खामियों को दूर करने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों पर सख्ती बरतता है।’

First Published - March 3, 2021 | 11:49 PM IST

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