जनवरी में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ने के बावजूद डेरिवेटिव कारोबार में ज्यादा तेजी नहीं आई। वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट के लिए औसत दैनिक कारोबार (एडीटीवी) 298 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो मासिक आधार पर 6.44 फीसदी की वृद्धि है। हालांकि यह सितंबर के 537 लाख करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर से अभी भी 44 फीसदी कम है। सितंबर में प्रमुख सूचकांक नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए थे। दिसंबर में एफऐंडओ कारोबार 37 फीसदी गिरकर 280 लाख करोड़ रुपये पर रह गया था।
विश्लेषकों का मानना है कि पिछले दो महीनों के दौरान डेरिवेटिव कारोबार में हाल में आई गिरावट से संकेत मिलता है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के सख्त ट्रेडिंग नियमों का असर रह सकता है। नकदी बाजार का एडीटीवी एनएसई और बीएसई दोनों के लिए संयुक्त रूप से 1.1 लाख करोड़ रुपये पर अपरिवर्तित बना रहा।
नए नियम लागू होने के बाद दिसंबर पहला कैलेंडर माह था जिसमें प्रत्येक एक्सचेंज पर एक साप्ताहिक निपटान और ऊंचा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम) शामिल था। प्रीमियम का अग्रिम संग्रह और निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभ खत्म करने जैसे अतिरिक्त उपाय अगले सप्ताह प्रभावी होंगे। 1 अप्रैल से पोजीशन की इंट्रा-डे निगरानी शुरू हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से वॉल्यूम में और कमजोरी आ सकती है।
जनवरी में उतार-चढ़ाव ने कारोबार में और ज्यादा गिरावट रोकी हो सकती है। शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। लेकिन अपने ज्यादातर नुकसान की भरपाई कर ली। महीने का अंत 1 प्रतिशत से भी कम नुकसान के साथ हुआ। इसके विपरीत निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स ने जनवरी में 9.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ समापन किया जो मई 2022 के बाद से उसके लिए सबसे बड़ा झटका था। निफ्टी मिडकैप 100 में 6.1 प्रतिशत की गिरावट आई जो अक्टूबर 2024 के बाद से इसकी सबसे बड़ी मासिक गिरावट है।