डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं का प्रतिफल परिपक्वता (वाईटीएम) अनुपात (आगामी प्रतिफल का संकेत) पिछले कुछ महीनों से मजबूत हुआ है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि जुलाई और सितंबर 2022 के बीच भारी तेजी के बाद पिछले कुछ महीनों में इस अनुपात में स्थिरता आई है। फंड प्रबंधकों और सलाहकारों का मानना है कि भले ही वाईटीएम में तेजी आई है, लेकिन उनका चरम स्तर, खासकर लंबी अवधि वाले फंडों के लिए अभी भी कुछ आधार अंक दूर है।
यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) परिजात अग्रवाल ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों में कुछ श्रेणियों के वाईटीएम में तेजी आई है, जबकि अन्य के लिए यह स्थिर हो गया है। इसमें तेजी आ सकती है, लेकिन बहुत ज्यादा वृद्धि के आसार नहीं दिख रहे हैं।’
नवंबर के अंत तक, क्रेडिट रिस्क फंडों और ओवरनाइट फंडों को छोड़कर सभी डेट फंड श्रेणियों का वाईटीएम 6.3 प्रतिशत से 7.3 प्रतिशत के सीमित दायरे में था। फंड प्रबंधकों और सलाहकारों के अनुसार, जहां लिक्विड और मनी मार्केट जैसी संक्षिप्त अवधि की योजनाओं में अगले चरण की दर वृद्धि से ज्यादा तेजी नहीं आ सकती है, वहीं उनके प्रतिफल में सुधार लाने के लिए लंबी अवधि की योजनाओं में अच्छी संभावनाएं हैं।
आरबीआई एक बार और कर सकती है दरों में वृद्धि
कोटक इन्वेस्टमेंट एडवायजर्स में मुख्य कार्याधिकारी (निवेश परामर्श) लक्ष्मी अय्यर ने कहा, ‘मैं नहीं मानती कि प्रतिफल चरम स्तर पर पहुंचा है। आरबीआई द्वारा कम से कम एक बार और दर वृद्धि किए जाने की संभावना है। बैंकिंग तंत्र में सख्त तरलता और कर निकासी की वजह से भी प्रतिफल में बदलाव आ सकता है।’ ट्रस्ट एमएफ में फंड प्रबंधक आनंद नेवतिया का कहना है, ‘वाईटीएम में कुछ सुधार की गुंजाइश है। संभावित दर वृद्धि के अलावा, बाजार में बॉन्डों की ज्यादा आपूर्ति से भी प्रतिफल चढ़ सकता है।’
वाईटीएम में और ज्यादा वृद्धि की संभावना को देखते हुए, फंड प्रबंधक, निवेश सलाहकार और एमएफ वितरक निवेशकों को संक्षिप्त अवधि वाले फंडों से जुड़े रहने की सलाह दे रहे हैं। उनके अनुसार, गिल्ट जैसे लंबी अवधि के फंडों में निवेश कुछ और महीनों तक रोका जा सकता है। रुपी विद रुषभ इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक रुषभ देसाई ने कहा, ‘अब तक, अच्छी गुणवत्ता वाले किसी फंड ने 8 प्रतिशत का वाईटीएम नहीं छुआ है। मुझे उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में ऐसा होगा। इसलिए मैं अपने निवेशकों को मध्यावधि-दीर्घावधि फंडों में निवेश से पहले कुछ और महीने तक इंतजार करने की सलाह दे रहा हूं।’
2022 में म्युचुअल फंडों ने बिकवाली दबाव का सामना किया, क्योंकि कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों, बैंकिंग और पीएसयू फंडों, और गिल्ट फंडों जैसे मध्यावधि-अल्पावधि फंडों में पूंजी प्रवाह काफी कम हो गया। इन तीनों योजनाओं ने पिछले साल के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन और दर वृद्धि चक्र की वजह से 2022 के पहले 9 महीनों में 73,400 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर्ज की। बॉन्ड कीमतों और ब्याज दरों के बीच विपरीत संबंध है। जब ब्याज दर बढ़ती है, बॉन्ड कीमतों में नरमी आती है।