भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) ने गुरुवार को कहा कि म्युचुअल फंडों (MF) के पास बगैर दावे के करीब 2,500 करोड़ रुपये के लाभांश और यूनिट हैं। इस कुल राशि में से करीब 1,600 करोड़ रुपये बगैर दावे वाले लाभांश और शेष बिना दावे से जुड़ी बिकवाली से संबंधित हैं। एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा कि संगठन ने यह सुनिश्चित करने के लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) के साथ लगातार काम किया है कि यह राशि सही मालिकों के हाथों में पहुंच जाए।
उन्होंने कहा, ‘सेबी ने एम्फी को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि निवेशक या उनके नोमिनी या वारिस को पूंजी मिले। हम इस संबंध में सेबी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह आंकड़ा निकट भविष्य में काफी घट जाएगा।’ वेंकटेश ने कहा कि फंड हाउस इन निवेशकों से ईमेल आईडी और उनके पैन से जुड़े फोन नंबरों के जरिये संपर्क बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राशि को ऐसे हालात में बगैर दावे वाली माना जाएगा, जब फंड हाउस ऑनलाइन के साथ साथ ऑफलाइन माध्यमों के जरिये निवेशकों को लाभांश और रिडम्पशन संबंधित भुगतान देने में विफल रहा हो। इसका एक कारण संबंधित बैंक खातों का बंद होना भी है। सेबी के नियमों के अनुसार, यह राशि लिक्विड या ओवरनाइट जैसी अल्पावधि डेट योजनाओं में रखी जाती है।
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बगैर दावे वाली बचत और निवेश लगभग सभी बैंकों और निवेश योजनाओं के लिए समस्या है। पिछले महीने सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास करीब 35,000 करोड़ रुपये की बगैर दावे की जमाएं होने का अनुमान लगाया था।
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा, ‘आरबीआई के पास मौजूद जानकारी के अनुसार, फरवरी 2023 के अंत तक केंद्रीय बैंक को जमाओं के संबंध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा बगैर दावे वाले 35,012 करोड़ रुपये स्थानांरित किए गए, जो करीब 10 साल से निष्क्रिय पड़े हुए थे।’