अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के शेयर में धड़ाधड़ बिकवाली होने के बाद इसके 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (FPO) पर भी चिंता जताई जा रही है।
शेयर बिक्री के पहले दिन एफपीओ को केवल 1 प्रतिशत आवेदन मिले। स्टॉक एक्सचेंजों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 14,908 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे जाने है मगर 150 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों के लिए ही बोलियां आईं।
शुक्रवार को एईएल का शेयर 18.3 प्रतिशत टूटकर 2,769 रुपये पर बंद हुआ। इस समय कंपनी का शेयर एफपीओ मूल्य से 11 से 15 प्रतिशत कम कीमत पर मिल रहा है। एफपीओ के लिए 3,112 से 3,276 रुपये प्रति शेयर कीमत तय की गई है।
एईएल का शेयर धड़ाम होने पर एक विश्लेषक ने कहा, ‘अगर कोई निवेशक खुदरा निवेशकों को खास तौर पर दी जा रही 64 रुपये की छूट पर भी आवेदन करता है तो उसे शेयर केवल 9 रुपये सस्ता पड़ेगा। अगर अगले दो सत्रों में शेयर नहीं उबरा तो एफपीओ के लिए पर्याप्त अर्जियां नहीं आ पाएंगी। अगर बाजार में शेयर सस्ता मिल रहा है तो एफपीओ में कोई महंगा शेयर क्यों खरीदेगा। निवेशक तो तभी आएंगे जब उन्हें कुछ फायदा नजर आएगा।’
जब एईएल ने 18 जनवरी को एफपीओ का मूल्य दायरा तय किया था तो शेयर बाजार में कंपनी का शेयर उससे 10 फीसदी महंगा था। अदाणी समूह की कंपनियों के बारे में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से शेयरों की जमकर बिकवाली की जा रही है।
इस विवादित रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह ने बाजार में कीमतों में छेड़-छाड़ और ऑडिट में फर्जीवाड़े का सहारा लिया है। एईएल का एफपीओ मंगलवार को बंद हो रहा है। कंपनी को ऐंकर निवेशकों से 5,985 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदने के प्रस्ताव मिल चुके हैं।
एक तिहाई (2,040 करोड़ रुपये के) शेयर तो मेबैंक सिक्योरिटीज ही खरीद रही है। ईएलएम पार्क फंड, विनरो कमर्शियल, बेलग्रेव इन्वेस्टमेंट फंड और डवटेल इंडिया फंड क्लास अन्य बड़े निवेशक थे। इनमें से हरेक ने 300-300 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं।
देसी संस्थानों में एलआईसी ने करीब 300 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को 125 करोड़ रुपये के शेयर मिले। एसबीआई एम्प्लॉयी पेंशन फंड ने 100 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। मगर देसी म्युचुअल फंड उद्योग अभी तक एफपीओ से दूर रहा है।
एफपीओ में एईएल आंशिक चुकता शेयर जारी कर रही है। पहले चरण में यह निवेशकों से 50 प्रतिशत (1,368 रुपये प्रति शेयर की दर से) रकम जुटाएगी। शेष 50 प्रतिशत रकम अगले 18 महीनों के दौरान एक या अधिक चरणों में जुटाई जाएगी।
इस बारे में एक अन्य विश्लेषक ने कहा, ‘एफपीओ में एक या अधिक कॉल ऑप्शन होंगे, इसलिए शेयर का भाव एफपीओ मूल्य से ऊपर रहना जरूरी है। ऐसा नहीं हुआ तो निवेशक भुगतान नहीं करेंगे।’