खुदरा निवेशक शेयरों के चयन के लिए अक्सर ब्रोकरेज की लक्षित कीमत का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन पिछले एक साल में शेयरों के वास्तविक प्रदर्शन से इसकी तुलना करें तो यह तरीका कारगर नहीं रहा है। अभी बीएसई 500 के 445 शेयरों में से 286 यानी करीब 64 फीसदी शेयर एक साल पहले की लक्षित कीमत से नीचे कारोबार कर रहे हैं क्योंकि पांच महीने से चली आ रही बिकवाली का इन पर असर पड़ा है। सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन करने वालों में राजेश एक्सपोर्ट्स, स्टर्लिंग ऐंड विल्सन रीन्यूएबल एनर्जी, तानला प्लेटफॉर्म्स, इंडसइंड बैंक, होनासा कंज्यूमर और सोनाटा सॉफ्टवेयर शामिल हैं और ये सभी अपने अनुमानित कीमतों से नीचे कारोबार कर रहे हैं।
इसके उलट हिताची एनर्जी इंडिया, गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया, डिक्सन टेक्नॉलजीज (इंडिया), एजिस लॉजिस्टिक्स, कोचीन शिपयार्ड और अदाणी ग्रीन एनर्जी जैसे शेयर अपनी-अपनी लक्षित कीमत से ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
कमजोर इक्विटी बाजार और कंपनी विशेष के झटकों ने इस खराब प्रदर्शन को और बिगाड़ दिया है। उदाहरण के लिए इंडसइंड बैंक के शेयरों में इस सप्ताह भारी गिरावट आई जब एक आंतरिक समीक्षा में उसके विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन में गड़बड़ी का पता चला, जिससे उसके नेटवर्थ में 2.35 फीसदी की चोट पहुंची।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मंदी के दौर में लक्षित कीमतें गुमराह करने लगती हैं क्योंकि शेयरों को अक्सर विश्लेषकों के अनुमानों के अनुरूप बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पूर्व प्रमुख (खुदरा रिसर्च) दीपक जसानी ने कहा, पिछले महीने बाजार में और गिरावट आई है। विश्लेषक आमतौर पर आशावादी कीमतों का लक्ष्य तय करते हैं। लेकिन जब तक आय में मजबूत सुधार नहीं होता तब तक इनके लक्ष्यों में कमी की संभावना रहेगी। यह रुझान तब तक रह सकता है जब तक कि स्थिति में सुधार न हो।
स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि खरीद की रेटिंग को उचित ठहराने के लिए अक्सर तेजी वाले बाजारों के दौरान लक्षित कीमतों को बढ़ा दिया जाता है। उन्होंने कहा, ज्यादातर ब्रोकरेज फर्म मौजूदा कीमतों से 10-15 फीसदी अधिक की कीमत का लक्ष्य तय करते हैं ताकि खरीदें कॉल का समर्थन किया जा सके। वरना वे ‘होल्ड’ या ‘न्यूट्रल’ रेटिंग जारी करते हैं।
हाल में हुई तेज गिरावट के साथ कई शेयर अब अपने लक्ष्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे वापस उछलेंगे। आगे ब्रोकरेज़ अपने ‘खरीद’ की सिफारिश जारी रख सकते हैं जबकि लक्ष्य नीचे के कर सकते हैं।