Market Outlook 2025: आम चुनाव और उसके बाद बजट के नतीजों से लेकर सितंबर 2024 में समाप्त तिमाही में कॉरपोरेट आय में गिरावट, स्थिर मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर भारतीय रिजर्व बैंक के रुख, मौसम की स्थिति, सभी का भारतीय शेयर बाजारों ने कैलेंडर वर्ष 2024 में सामना किया है। वैश्विक स्तर पर भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता, पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक संकट, अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने के लिए चीन के प्रोत्साहन उपायों और येन कैरी ट्रेड के बीच भारतीय बाजार इन प्रतिकूल हालात के बीच काफी हद तक मजबूत बने रहे।
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जैसे-जैसे कैलेंडर वर्ष 2025 नजदीक आ रहा है, निवेशकों को किन प्रमुख जोखिमों और अवसरों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है? इस बारे में प्रमुख ब्रोकरों ने अपने विचार बताए।
वैश्वक इक्विटी बाजारों को कई तरह की चुनौतियों के साथ एक अस्थिर पृष्ठभूमि का सामना करना पड़ सकता। 2025 एक और साल होने वाला है जो बेंचमार्क निवेश के विपरीत ईएम के लिए थीम-संचालित अवसरवादी निवेश आवंटन की जरूरत दर्शाएगा।
उभरते बाजार (ईएम) को इक्विटी बाजारों द्वारा वैश्विक नीतिगत अनिश्चितता, मजबूत डॉलर और ईएम में नरमी की कम गुंजाइश के बीच 2025 में कम लाभ मिलने की संभावना है। व्यापक आर्थिक अनिश्चितताएं, उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलताएं तथा लगातार ऊंची ब्याज दरें वैश्विक स्थिरता की परीक्षा लेंगी।
वर्ष 2025 में वृद्धि दर नरम पड़कर 6.5 प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है, क्योंकि स्थिर मुद्रास्फीति और सार्वजनिक व्यय में चुनाव संबंधी देरी के कारण शहरी खपत में कमी आई है, साथ ही वित्तीय स्थिति पर भी दबाव बना हुआ है। वृद्धि और शहरी मांग में नरमी के कारण, चार साल की तेजी के बाद भारतीय इक्विटी में पिछले तीन महीनों में गिरावट शुरू हो गई है। वर्ष 2025 में दरों में कटौती से कुछ राहत मिलेगी, जो जल्द संभव हो सकती है यदि खाद्य मुद्रास्फीति कम होती है।
हमें भारत, आसियान (मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया) और दक्षिण अफ्रीका (बनाम लैटम) में आय के पूर्वानुमान के संदर्भ में ज्यादा आश्वस्त हैं। वर्ष 2025 में, उभरते बाजारों (ईएम) के समक्ष तीन चुनौतियां होंगी – चीन में जारी ऋण-अपस्फीति की चुनौती, रिपब्लिकन प्रशासन द्वारा टैरिफ में संभावित वृद्धि तथा वैश्विक विकास और ईएम एफएक्स दरों पर इसका नकारात्मक असर।
हमने एमएससीआई ईएम के लिए अपना बेस-केस कीमत लक्ष्य 1,160 से घटाकर 1,100 कर दिया है, जिससे जीरो रिटर्न का संकेत मिलता है। अपने एशिया/ईएम मेजर 15 मार्केट एलोकेशन मॉडल में, हम भारत (हमारे सबसे पसंदीदा बाजार, सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया) पर अपना ओवरवेट वाला नजरिया बनाए हुए हैं।
हम जिस बहुध्रुवीय दुनिया में हैं वह ऐसे भू-राजनीतिक मंच पर अवसरवादी चालों पर आधारित है जो वित्तीय बाजार में अस्थिरता को ऊंचे स्तर पर बनाए रखता है। ऐसे में निवेशकों के लिए पूंजी बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना बेहतर है, जहां खेल का मैदान परिचित हो और जहां खेल के नियम स्थिर और ज्ञात हों।
इस संदर्भ में, भले ही हम बिना शर्त पुनर्स्थापन गतिविधियों के साथ पूर्ण रूप से वि-वैश्वीकरण यानी डी-ग्लोबलाइजेशन को नहीं देखते हैं, फिर भी हम अपना दृष्टिकोण दोहराते हैं कि स्टोर-ऑफ-वैल्यू इक्विटी बाजारों को लाभ होना चाहिए।
हम इसका इस्तेमाल ऐसे देशों के बाजारों के लिए एक व्यापक शब्द के रूप में करते हैं जहां शेयरधारक मूल्य और संपत्ति के अधिकार अच्छी तरह से संरक्षित हैं और एक मजबूत संस्थागत ढांचा, सुदृढ़ शासन और पूंजी का कुशल आवंटन है। हमारे पसंदीदा उदाहरण अमेरिका, स्वीडन और स्विट्जरलैंड हैं, जिनमें से सभी के पास शेयरधारक मूल्य सृजन का एक बेमिसाल ट्रैक रिकॉर्ड है।