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ब्रोकरों को बजट से कोविड-19 उपकर, ऊंचे खर्च की उम्मीद

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:12 AM IST

मार्च 2020 के निचले स्तरों से बड़ी तेजी के बाद अब बाजार की नजर बजट में पेश किए जाने प्रस्तावों पर टिकी हुई है। 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में कोविड-19 प्रभावित अर्थव्यवस्था के कायाकल्प और कॉरपोरेट भारत की मदद के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
जहां ज्यादाकर विश्लेषकों का मानना है कि सरकार अपनी तिजोरी ढीली कर सकती है और इस वजह से महामारी से प्रभावित वर्ष में राजकोषीय घाटे को लेकर ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन सरकार को खर्च बढ़ाने की राह पर चलना एक बड़ी चुनौती होगी।
प्रमुख ब्रोकरेज फर्मों को सरकार से क्या उम्मीदें हैं, यहां इस पर प्रकाश डाला जा रहा है।

जेफरीज
हमें कर राजस्व सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्घि के साथ आगामी वित्त वर्ष में 22.8 लाख करोड़ रुपये रहने और राजकोषीय घाटा 1.2 प्रतिशत तक घटकर वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी का 5.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।
क्रेडिट सुइस
हालांकि सरकार अब खर्च करने को तैयार दिख रही है, लेकिन 4.2 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का क्रियान्वयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वह जीडीपी वृद्घि अनुमानों (संभवत: 13 प्रतिशत) पर उदार रख अपना सकती है और उसने कम घाटे (5.2 प्रतिशत) का भी लक्ष्य रखा है जिसका मतलब है कि 13 प्रतिशत की कुल खर्च वृद्घि। इस वजह से शेष मदों पर खर्च वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 40 प्रतिशत ज्यादा रह सकता है, लेकिन कुल वृद्घि 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की होगी। स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च बढ़ सकता है। सरकार वित्तीय क्षेत्र में सुधार के भी कदम उठा सकती है।

बार्कलेज
उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2022 में 12.2 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 5.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटा अनुमान तय कर सकती है जिससे सरकार को 34.7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च में मदद मिलेगी। सरकार संचार सेवाओं से 1.3 लाख करोड़ रुपये के अपने लक्ष्य से पीछे रह सकता है। विनिवेश की प्रक्रिया अगले साल फिर शुरू की जाएगी और प्राप्त रकम के लिए लक्ष्य वित्त वर्ष 2022 के लिए 2 लाख करोड़ रुपये के आसपास निर्धारित किए जाने की संभावना है। सार्वजनिक/निजी भागीदारी के जरिये राष्ट्रीय इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़े आवंटन पर ध्यान दिया जा सकता है। रक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को बजटीय आवंटन में वृद्घि की जा सकती है। सरकार चीन के साथ ताजा टकराव को देखते हुए अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत बनाने पर भी ध्यान बढ़ा सकती है।

नोमुरा
सरकार वित्त वर्ष 2020 में महामारी से संबधित उपायों पर जीडीपी का 1.8 प्रतिशत खर्च करेगी। रोजगार गारंटी कार्यक्रम, पूंजीगत खर्च, ऊंचे उर्वरक खर्च, किफायती आवास के लिए मदों में इजाफा किया जा सकता है और इसके लिए संभावित राशि जीडीपी के करीब 0.9 प्रतिशत होगी और वित्त वर्ष 2022 के बजट में भी इसे बरकरार रखे जाने की संभावना है। इसके अलावा हाल में निर्माण कंपनियों के लिए पेश उत्पाद-आधारित रियायत (पीएलआई) योजना, और वित्त वर्ष 2021 में पेश उपायों से खर्च का करीब जीडीपी का 1 प्रतिशत वित्त वर्ष 2022 के बजट में भी बरकरार रखने की संभावना है। सरकार ईंधन उत्पादों पर ऊंचे उत्पाद शुल्क को बनाए रख सकती है और सिन टैक्स तथा संभावित कोविड-19 सेस लगा सकती है। वित्त वर्ष 2022 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 5.2 प्रतिशत पर निर्धारित किए जाने की संभावना है और सरकार राजकोषीय घाटे का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा शुद्घ बाजार उधारी के जरिये पूरा कर सकती है।

फिलिप कैपिटल
इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास मजबूत वृद्घि, रेलवे, रक्षा, और सड़क क्षेत्र पर ध्यान  देने के लिए सरकार के प्रयासों का मुख्य हिस्सा हो सकता है। परिसंपत्तियों की बिक्री और विनिवेश से वित्त वर्ष 2022 और उसके बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को वित्तीय मदद मिलेगी। सरकार द्वारा कोविड-19 संकट के दौरान वित्त वर्ष 2021 में पेश किए गए कई नकद/सब्सिडी लाभों को वापस लिए जाने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही कृषि और उससे संबद्घ गतिविधि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और उसके इन्फ्रास्टक्चर के विकास के लिए नीतिगत उपायों और नए निवेश से भी सुधार की रफ्तार तेज होगी।

First Published : January 25, 2021 | 11:36 PM IST