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बड़ी गिरावट वाले बाजार भारत को दे सकते हैं मात

Last Updated- January 12, 2023 | 11:48 PM IST
stock market

मॉर्निगस्टार के मुख्य कार्या​धिकारी कुणाल कपूर ने अ​भिषेक कुमार के साथ साक्षात्कार में कहा कि जब तक कि वै​श्विक मुद्रास्फीति और ब्याज दरों को लेकर ​स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक विदेशी निवेशकों द्वारा बड़ी मात्रा में नया निवेश किए जाने की संभावना नहीं दिख रही है।

अगले कुछ वर्षों के दौरान वै​श्विक बाजार भारत से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

बढ़ती संप​त्ति के बावजूद भारत में निवेश सलाहकारों की संख्या सीमित क्यों बनी हुई है?

भारत में परामर्श व्यवसाय अभी शुरुआती अवस्था में है। निवेशक वित्तीय सलाह के लिए पैसा खर्च करने को ज्यादा इच्छुक नहीं हैं। मेरा मानना है ​कि जैसे जैसे संप​त्ति बढ़ेगी, यह उद्योग भी धीरे धीरे बढ़ेगा, जैसा कि हमने दुनियाभर में देखा है। साथ ही, परामर्श उद्योग को वै​श्विक मानकों के अनुरूप विकसित करना होगा, जिसमें निवेश सलाह शेयर और फंडों के चयन की तुलना में ज्यादा महत्पूर्ण हो। अच्छा वित्तीय नियोजन वही है जो लोगों को पसंद आए। ढांचागत मोर्चे पर बदलाव लाने से भी मदद मिल सकेगी। मौजूदा समय में निवेश संबं​धित सख्त पात्रताएं और शर्तें हैं।

भारत में निवेशक धारणा में बदलाव आता दिख रहा है। गिरावट के दौरान, घबराहट में आकर बिकवाली करने के बजाय ज्यादा पूंजी निवेश की जाती है। क्या ऐसा करना हमेशा सही रणनीति होती है?

‘खरीदारी करना और निवेश बरकरार रखना’हमेशा अच्छी रणनीति होती है। निवेश लक्ष्यों और समय अव​धि के अनुरूप किया जाना चाहिए। अगर यह सही है तो भारतीय निवेशक जो कर रहे हैं, वह सकारात्मक बदलाव है। ऐतिहासिक तौर पर, इसके विपरीत होता था, छोटे निवेशक ‘बाई हाई ऐंड सेल लो’ यानी महंगा खरीदने और कम पर बेचने के लिए जाने जाते हैं।

तथ्य यह है कि भारत ने अतीत में लगातार ऐसी गिरावट दर्ज नहीं की जिससे निवेशकों में अपने निवेश को गिरावट के दौरान बनाए रखने का भरोसा कायम हुआ हो। जो भी वजह रहीं हों, लेकिन यदि निवेशक गिरावट पर खरीद रहे हैं तो यह सकारात्मक बदलाव है। हमारी ‘माइंड द गैप’ रिपोर्ट से पता चलता है कि निवेशकों को आमतौर पर गलत समय पर निवेश में प्रवेश और उससे बाहर निकलने की वजह से फंड योजनाओं के मुकाबले कम प्रतिफल मिलता है।

एफपीआई ने 2022 में भारतीय बाजारों से बड़ी तादाद में बिकवाली की। फिर भी अन्य देशों की तुलना में भारत का मूल्यांकन महंगा होने की वजह से क्या आपको 2023 में भी पूंजी निकासी बरकरार रहने का अनुमान है?

पूंजी प्रवाह और निकासी की भविष्यवाणी करना हमेशा कठिन होता है। 2022 में, दुनियाभर में जो​खिम वाली परिसंप​त्तियों की बिकवाली हुई थी, भले ही उनमें प्रतिफल कैसा भी रहा हो। हालांकि अब बिकवाली की रफ्तार धीमी पड़ सकती है। यदि आप दीर्घाव​धि निवेशक हैं तो समस्याएं ज्यादा मायने नहीं रखतीं। भारत अभी भी आकर्षक बना हुआ है।

मौजूदा समय में कौन सा बाजार ज्यादा आकर्षक लग रहा है?

जिस तरीके से हम अर्थव्यवस्थाओं का आकलन करते हैं, उससे किसी एक बाजार का चयन करना फिलहाल बेहद कठिन होगा। विकसित बाजार 3-5 साल की अव​धि के नजरिये से आकर्षक नजर आ रहे हैं। इसके अलावा, पिछले साल बड़ी बिकवाली देख चुके कुछ उभरते बाजार अब बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

मॉर्निंगस्टार इंडिया की आगामी योजनाएं क्या हैं?

स्थानीय बाजार के दृ​ष्टिकोण से हम यहां वित्तीय सलाहकारों के साथ लगातार काम कर रहे हैं और उन्हें सॉफ्टवेयर तथा परिसंप​त्ति प्रबंधन सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। हम इस दिशा में लगातार आगे बढ़ेंगे और अपने डेटा एवं रिसर्च वर्टिकलों का भी विस्तार करेंगे। भारत में, अभी हमारे करीब 5,000 कर्मचारी वै​श्विक परिचालन से जुड़े हुए हैं। हम भविष्य में अपनी टीम का दायरा और बढ़ाएंगे।

First Published - January 12, 2023 | 11:48 PM IST

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