साल 2025 में अब तक सोने ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। निवेशकों को लगभग 30% तक का रिटर्न मिला है, जो शेयर बाजार समेत कई अन्य एसेट क्लास से कहीं ज्यादा है। वहीं, Nifty50 इंडेक्स सिर्फ 8% चढ़ पाया है। इस शानदार तेजी के पीछे मुख्य वजहें थीं – पश्चिम एशिया में युद्ध जैसे हालात, ट्रम्प की टैरिफ नीति और डॉलर की कमजोरी। निवेशकों ने रिस्क से बचने के लिए ‘सुरक्षित ठिकाना’ माने जाने वाले सोने की तरफ रुख किया। इसके साथ-साथ चांदी और प्लैटिनम की कीमतें भी चढ़ीं।
लेकिन अब ब्रोकरेज हाउस Motilal Oswal का मानना है कि सोने की कीमत में और ज्यादा बढ़त की संभावना कम है। ब्रोकरेज ने कहा, “अब तक सोना 30% से ज्यादा बढ़ चुका है, और पिछले 25 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि Comex Gold ने एक साल में 32% से ज्यादा रिटर्न दिया हो।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “अब बाजार को किसी नए और बड़े ट्रिगर की ज़रूरत है। जब तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता, तब तक कीमतें एक सीमित दायरे में रह सकती हैं यानी कंसॉलिडेशन फेज़ में।”
हाल ही में इज़राइल-ईरान तनाव में कमी और अमेरिका समेत कुछ देशों के बीच व्यापारिक समझौते के चलते वैश्विक अनिश्चितता कम हुई है। इसकी वजह से निवेशकों ने सोने से थोड़ी दूरी बना ली है। पहले, जब ट्रम्प की टैरिफ नीति का असर था और युद्ध का डर बना हुआ था, तब गोल्ड में काफी तेज़ी आई थी।
Motilal Oswal का मानना है कि फिलहाल तो सोने में बड़ी तेजी की संभावना कम है। लेकिन अगर भविष्य में कोई बड़ा, लंबी अवधि का ट्रिगर सामने आता है, तो फिर से निवेश का मौका बन सकता है। ब्रोकरेज ने तकनीकी निवेशकों के लिए सलाह दी है: “अगर सोने की कीमत ₹96,000 के नीचे टिकती है, तो लॉन्ग पोजीशन वालों को हेजिंग या एग्ज़िट करने पर विचार करना चाहिए।”
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में सोना इस समय लगभग $3,350 प्रति औंस के भाव पर ट्रेड हो रहा है। भारत में दिल्ली-NCR क्षेत्र में इसकी कीमत ₹98,550 प्रति 10 ग्राम के आसपास है।