संचार मंत्री ए राजा के अनुसार अब मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की शुरुआत अगले साल जून तक ही हो पाएगी।
उनके इस बयान के बाद मंगलवार को कई टेलीकाम शेयर तेजी से नीचे गिरे। अगर इस स्थिति में टेलीकाम क्षेत्र में सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारती एयरटेल के शेयर 1.5 फीसदी नीचे आए तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं। 3 जी की नीलामी अब अंतिम चरण में है।
इसे देखते हुए 364,000 शहरों और कस्बों में अपनी उपस्थिति के साथ देश का यह नंबर वन टेलीकाम आपरेटर 3जी सेवा लांच करने के लिए अच्छी स्थिति में है। भारती को अपने प्रतिद्वंद्वियों पर सशक्त कैश फ्लो और कम उधारियों के चलते अग्रता हासिल है।
यह ऐसे कारोबार में खासा अहम है जहां पूंजीगत व्यय अधिक है। 2008-09 के लिए कंपनी का फ्री कैश फ्लो 3,200 करोड़ रुपये है जो अगले साल बढ़कर 7,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। कंपनी का नेट डेट इस साल के अंत तक 7,000 के आसपास ही रहना चाहिए। फिर यह रिलायंस कम्युनिकेशन की तरह नया नेटवर्क रोलिंग आउट नहीं कर रहा है।
साथ ही वोडाफोन और आइडिया से इतर 23 सर्किलों में इसका नेटवर्क पहले ही मौजूद है। आठ करोड़ ग्राहको के साथ भले ही भारती शीर्ष स्थान पर विरजमान हो, फिर भी इसकी झोली में नए ग्राहक जा रहे हैं। 2009-10 तक नए ग्राहकों में इसकी हिस्सेदारी 22-23 फीसदी के आसपास उस समय तक कई नई कंपनियां भी बाजार में होंगी।
उद्योग पर नजर रख रहे लोगों के अनुसार यह क्षेत्र अगले साल 20 लाख ग्राहक प्रतिमाह के लिहाज से ग्राहक जोड़ेगा। वर्तमान में यह गति 26 लाख ग्राहक प्रतिमाह है। भले ही इस क्षेत्र में औसत राजस्व प्रति व्यक्ति (एआरपीयू) लगातार कम होता जा रहा है। इसके बाद भी भारती की स्थिति अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर है।
सितंबर तिमाही में उसका एआरपीयू 331 रुपये था। यह किसी भी दूसरे आपरेटर की तुलना में अधिक है। आरकाम का एआरपीयू सिर्फ 271 रुपये ही है। इसका मिनट यूजेज भी 526 है जो आरकाम के 423 मिनट से काफी अधिक है। 2008-09 के अंत तक भारती का राजस्व 39,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है जो 2007-08 की तुलना में करीब 45 फीसदी अधिक है।
कंपनी का शुध्द मुनाफा भी 21 फीसदी बढ़कर 8,100 करोड़ ररुपये होने की उम्मीद है। हालांकि कंपनी की टॉपलाइन 2009-10 में थोड़ी धीमी होने की बात कही जा रही है। इसके बाद भी टावर कारोबार के सस्ते होने के कारण वह अपना शुध्द मुनाफे में वृध्दि की स्थिति को बरकरार रख सकता है।
जीवीके: मुश्किल दौर
पर्याप्त गैस के अभाव में जीवीके पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अपने सभी पावर प्लांटों का संचालन खासा मुश्किल हो रहा है।
यह उसकी ग्रोथ को प्रभावित कर रहा है। 2007-08 में इस सिकंदराबाद स्थित कंपनी की टापलाइन 23 फीसदी बढ़कर 470 करोड़ रुपये हो गई थी। इस साल उसके लिए यह प्रदर्शन दोहरा पाना खासा मुश्किल होगा। संभावना इस बात की अधिक है कि उसका राजस्व लगभग फ्लैट रहे।
जारी साल की पहली छमाही में कंपनी का राजस्व सिर्फ 9 फीसदी बढ़कर 243 करोड़ रुपये हुआ था। हालांकि थोड़ी किस्मत और गैस के दम पर कंपनी 2009-10 के साल में ट्रैक पर आ सकती है।
यह खासा अहम है क्योंकि कंपनी के राजस्व में पावर सेक्टर का योगदान 70 फीसदी है। और वर्तमान में वह 216 मेगावाट क्षमता का उत्पादन कर पा रही है जबकि उसकी कुल क्षमता 900 मेगावाट है। कंपनी को 2009-10 की पहली तिमाही से गैस मिलने की उम्मीद है।
इससे कंपनी जगुरुपाडा 2 और गौतमी पावर प्रोजेक्ट में उत्पादन शुरु करने की स्थिति में आ सकती है। 2007-08 में कंपनी शुध्द मुनाफा 136 करोड़ रुपये था। इसमें आंशिक रूप से अन्य स्रोतों से हुई आय और सहयोगी कंपनियों द्वारा अर्जित मुनाफा भी शामिल है।
इस साल उसके लिए इस प्रदर्शन को दोहरा पाना खासा मुश्किल रहेगा। क्योंकि उसे सिर्फ सहयोगी कंपनियों से ही मुनाफा मिलने की उम्मीद है। वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में सितंबर तक कंपनी का राजस्व 5.7 फीसदी गिरकर 40 फीसदी हो गया था। जीवीके के राजस्व के अन्य स्रोतों में 37 फीसदी की हिस्सेदारी वाला मुंबई एयरपोर्ट (एमआईएएल) प्रमुख है।
सितंबर 2008 की तिमाही में एमआईएल के ट्रेफिक में भी 11.5 फीसदी की गिरावट देखी गई। अर्थव्यवस्था की सुस्त होती चाल को देखते हुए अगर इसमें और गिरावट देखने को मिलती है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। स्थिति सुधारने के लिए जीवीके जैसे एयरपोर्ट आपरेटरों को अपने द्वारा किए जा रहे खर्च की भरपाई के लिए अपने कुछ शुल्कों को बढ़ाने की अनुमति मिलनी चाहिए।