जी क्वांट्स के संस्थापक शंकर शर्मा ने कहा कि कई वर्षों तक पिछड़ने के बाद भारतीय बाजार भी अब अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मुंबई में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट, 2022 में शर्मा ने कहा कि जापान से लेकर वियतनाम तक सभी बाजारों में तेजी का दौर फिर दिखेगा जो फिलहाल इस समय भारत में दिख रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार के शानदार प्रदर्शन के पीछे कई कारण हैं। शर्मा ने कहा कि खासकर, कोविड के बाद दुनिया में चीन का रसूख कम हो गया है। शर्मा ने कहा, ‘भारत के पक्ष में इस समय कई बातें काम कर रही हैं। यहां कोविड महामारी नियंत्रण में है। चीन का दबदबा कोविड के बाद कमजोर होने से भारत को कहीं न कहीं फायदा हो रहा है।
क्रिकेट की भाषा में कहें तो भारतीय बाजार के लिए पिच सपाट है और गेंद भी पुरानी पड़ चुकी है। इससे निवेशकों एवं कारोबारियों को अपने दांव खेलने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। इससे भी बड़ी बात यह है कि नकारात्मक बातों का खास असर नहीं हो रहा है।’ शर्मा ने कहा कि ये सभी बातें अहम हैं, जो भारतीय बाजारों के लिए पूरी तरह अनुकूल साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इनके अलावा कुछ दूसरी सकारात्मक बातें भी हैं जो भारत के हित में जा रही हैं।
शर्मा ने कहा, ‘दुनिया की नजर में हमारी छवि अच्छी बन चुकी है और निवेशकों को यह बात काफी पसंद आ रही है। चीन एवं चीन के लोगों की तुलना में दुनिया भारत एवं भारतीयों को अधिक पसंद कर रही है। कोविड महामारी के बाद पैदा हुए हालात भारत के लिए काफी अनुकूल लग रहे हैं। आर्थिक लिहाज से भारत की साख मजबूत हुई है और इस बात को पूरी दुनिया पसंद कर रही है। आने वाले समय में हमें इसका जरूर लाभ मिलेग और मिलना शुरू भी हो गया है।
कभी-कभी परिस्थितियां अनुकूल भले ही नहीं लगे लेकिन इतना तो तय है कि अंत में लाभ भी अच्छी साख रखने वाले देशों को ही मिलता है। पहले भारत निचले पायदान पर रहता था मगर अब शीर्ष स्थान पर पहुंचने का समय आ गया है।’शर्मा ने कहा कि 2010 से मार्च 2020 तक बाजार में प्रतिफल के लिहाज से कई उतार-चढ़ाव देखने में आए हैं। जनवरी 2008 में सेंसेक्स करीब 16,000 के करीब था और फरवरी 2020 तक यह 37,000 के स्तर तक पहुंच गया। सेंसेक्स पिछले 13 वर्षों के दौरान 50 प्रतिशत (रुपये में मूल्यांकन के लिहाज से) उछल चुका है, जो सीएजीआर पर 4-5 प्रतिशत प्रतिफल के रूप में सामने आया है। शर्मा ने कहा कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट ने भी इससे अधिक प्रतिफल दिया होता।
उन्होंने कहा, ‘डॉलर के लिहाज से भारतीय शेयरों ने 2020 में कोविड महामारी आने तक तक करीब 12-13 वर्षों की अवधि में नकारात्मक प्रतिफल दिया है। कोविड महामारी के बाद प्रतिफल अच्छा रहा है। एक लंबे समय तक खराब प्रदर्शन के बाद यह एक तरह से उस नुकसान की भरपाई थी। बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहता है और जो फिलहाल दिख रहा है वह इसी का नतीजा है। हम सुखद दौर को याद करते हैं और बुरी बातों को भूलने की कोशिश करते हैं।’ शर्मा का मानना है कि अगले वर्ष भारत की आर्थिक वृद्धि दर कमजोर रहेगी क्योंकि वैश्विक से लेकर कई घरेलू कारक चुनौतियां पेश कर रहे हैं। शर्मा के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत दर से आगे बढ़ेगी, जबकि वैश्विक विकास दर औसत रहेगी।
शर्मा ने कहा, ‘आर्थिक प्रबंधन के लिहाज से भारत थोड़ा परंपरावादी देश रहा है और जब भी वैश्विक संकट आया है तब इसका प्रदर्शन अच्छा रहा है। भारत अचानक से बड़ा बदलाव लाने वाली नीतियों से परहेज करता है।’ शर्मा का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को महंगाई पर काबू पाने के चक्कर में ब्याज दरों में इजाफा नहीं करना चाहिए था। शर्मा के अनुसार ब्याज दरें बढ़ाने के बजाय आरबीआई को व्यापक समीक्षा करने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘ब्याज दरें बढ़ने से महंगाई कम हो या न हो मगर आर्थिक वृद्धि पर जरूर असर पड़ता है।