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बाजार में उतार-चढ़ाव की एक वजह ढांचागत बदलाव भी: बेन पॉवेल

उन्होंने कहा कि ट्रंप की जीत से कर कटौती, डी-रेग्युलेशन और सख्त व्यापार नीतियों के द्वार खुल गए हैं। प्रतिनिधि सभा में बहुमत अहम है।

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समी मोडक   
Last Updated- November 10, 2024 | 10:30 PM IST

अमेरिकी चुनाव नतीजे के वैश्विक अर्थव्यवस्था और बाजारों पर गहरे निहितार्थ होंगे। ट्रंप की विजय और सीनेट में रिपब्लिकन का बहुमत हो गया है। ऐसे में हम कर कटौती, नियमन में छूट और सख्त व्यापार नीतियों की उम्मीद कर रहे हैं।

यह कहना है ब्लैकरॉक इन्वेस्टमेंट इंस्टिट्यूट के मुख्य निवेश रणनीतिकार (पश्चिम एशिया व एशिया प्रशांत) बेन पॉवेल का। समी मोडक को ईमेल के जरिए दिए साक्षात्कार के मुख्य अंश

दुनिया की अर्थव्यवस्था और बाजारों पर अमेरिकी चुनाव नतीजे के क्या असर होंगे?

ट्रंप की जीत से कर कटौती, डी-रेग्युलेशन और सख्त व्यापार नीतियों के द्वार खुल गए हैं। प्रतिनिधि सभा में बहुमत अहम है। बढ़ा हुआ बजट घाटा महंगाई और लंबी अवधि के ट्रेजरी प्रतिफल में इजाफा कर सकता है। अल्पावधि में, अमेरिकी बाजारों को ठोस अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय वृद्धि, राजनीतिक स्थिरता और फेड की दर कटौती का लाभ मिल सकता है। लंबी अवधि का परिदृश्य इस पर निर्भर करेगा कि ट्रंप का एजेंडा कितना लागू हो पाता है।

हमारा मानना है कि नियमन में राहत से एनर्जी, फाइनैंशियल व टेक्नोलॉजी सेक्टर को कुछ फायदा होगा। लंबी अवधि की अमेरिकी ट्रेजरी पर हम तटस्थ हैं और आय के लिए हम मध्य अवधि में परिपक्वता व उच्च गुणवत्ता वाले क्रेडिट को प्राथमिकता देते हैं।

दरों में 25 आधार अंकों की कटौती के फेड के फैसले पर आपकी राय?

फेड की 25 आधार अंकों की कटौती से बाजारों में खास बदलाव नहीं आया है। फेड चेयरमैन जीरोम पॉवेल ने ट्रंप की भावी नीतियों के आर्थिक असर पर सवाल टाल दिए और कहा कि वह नीतिगत कदम का इंतजार करेंगे। पॉवेल ने वित्तीय हालात पर भी टिप्पणी नहीं की जो फेड के इतिहास में सबसे तीव्र दर बढ़ोतरी के चक्र में से एक के बाद अपेक्षाकृत नरम बना हुआ है।

हम और कितनी कटौती की उम्मीद कर सकते हैं?

बाजार में उतारचढ़ाव की आंशिक वजह यह है कि बाजार ढांचागत बदलाव को सामान्य कारोबारी चक्र के जरिये बता रहा है। महंगाई के लगातार दबाव को देखते हुए नहीं लगता कि फेड बाजार के अनुमान जितनी कटौती करेगा।

डेट बाजार में ताजा उतार-चढ़ाव क्यों बढ़ रहा है?

अल्पावधि में बाजार परिदृश्य बदलने से बड़ा उतार-चढ़ाव पैदा हो सकता है और यील्ड में तेज घट या बढ़ हो सकती है। आर्थिक अनिश्चितता से ब्याज दरों तेज उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। इस कारण पोर्टफोलियो की विविधता में दीर्घावधि सरकारी बॉन्डों की विश्वसनीय कम हो रही है। फइर भी, ये उतार-चढ़ाव और बॉन्डों में कुल आय के रिटर्न से निवेश के अवसर पैदा हो रहे हैं।

चीन पर आपका क्या नजरिया है? चीनी शेयर सस्ते हैं। क्या उनमें तेजी की गुंजाइश है?

हम अल्पावधि में कुछ हद तक ओवरवेट हैं। प्रमुख राजकोषीय प्रोत्साहन निवेशकों को उत्साहित कर सकते हैं क्योंकि विकसित बाजार के शेयरों की तुलना में चीनी शेयरों का मूल्यांकन कम है। लेकिन अगर संभावित व्यापार प्रतिबंध बढ़ते हैं तो हम अपना दृष्टिकोण बदलने को तैयार हैं। दीर्घावधि में, हम चीन की ढांचागत चुनौतियों पर सतर्क बने हुए हैं, जिनमें भूराजनीतिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा मुख्य रूप से शामिल हैं।

अमेरिका और भारतीय बाजारों दोनों ने पिछले साल के दौरान कुछ हद तक बेहतर प्रदर्शन किया है। इक्विटी बाजार के लिहाज से आपका नजरिया कैसा है?

अमेरिकी इक्विटी में तेजी आय वृद्धि के कारण आई है। हम अमेरिकी इक्विटी को पसंद कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि तकनीकी क्षेत्र के अलावा भी कॉरपोरेट आय में सुधार जारी रहेगा। फेड की दर कटौती और मजबूत आर्थिक गतिविधियों से हमारे सकारात्मक नजरिये को ताकत मिली है।

First Published : November 10, 2024 | 10:30 PM IST