ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) ट्रस्ट वाले ढांचे के बजाय सीमित दायित्व वाली साझेदारी (एलएलपी) के रूप में स्थापित होने पर विचार कर सकता है क्योंकि एलएलपी पर कर का मामला उनके लिए अनुकूल है। एलएलपी के तौर पर गठित फंडों की कारोबारी आय पर फंड के स्तर पर 34.94 फीसदी की दर से कर लगता है जबकि ट्रस्ट ढांचे वाले फंडों पर कर की दर 42.74 फीसदी है। इसके अलावा कर चुकाने के बाद वाली आय से निवेशकों/साझेदारों को होने वाला किसी तरह का वितरण भी निवेशको साझेदारों के लिए करमुक्त होगा।
दौलत कैपिटल अपनी कैटिगरी-3 एआईएफ के लिए एलएलपी ढांचा स्थापित करने वाली पहली कंपनी है, जिसे हाल में बाजार नियामक सेबी से मंजूरी मिली है। हेज फंड पूंजीगत जोखिम को न्यूनतम करने के साथ सतत रिटर्न अर्जित करने की कोशिश करेगा और डेरिवेटिव ट्रेडिंग, ऑप्शन आधारित रणनीति व कैश कॉल का इस्तेमाल करेगा। प्राइवेट इक्विटी फर्म गाजा कैपिटल ने कैटिगरी-2 एआईएफ गाजा कैपिटल इंडिया फंड 2020 के लिए आवेदन किया है, जिसका ढांचा एलएलपी है। उसे नियामक की मंजूरी अभी नहीं मिली है।
दौलत कैपिटल के निदेशक व एआईएफ प्रमुख अमित सक्सेना ने कहा, वैश्विक स्तर पर ऑल्टरनेटिव व हेज फंडों के लिए एलएलपी ज्यादा उपयुक्त व पसंदीदा विकल्प है। भारत में अब तक ऐसा नही् देखा गया है क्योंकि एलएलपी व ट्रस्ट ढांचे के लिए कराधान एकसमान रहा है। एलएलपी के तौर पर गठित और एआईएफ भविष्य में पेश किए जा सकते हैं क्योंंकि यह कर के लिहाज से सही ढांचा है।
एलएलपी ढांचा अपनी खुद के प्रतिबंधोंं के साथ आता है। इनमें एनबीएफसी की तरफ से उनमें निवेश पर पाबंदी शामिल है। अन्य मसलों में गोपनीयता शामिल है क्योंकि एलएलपी ढांचे में निवेशकों की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक करनी होती है, जब उसे साझेदार के तौर पर शामिल कर लिया जाता है।
इस मार्ग की तलाश तब हुई जब आम बजट में धनाढ्य पर कर बढ़ाने की बात कही गई। बजट में 2 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये कमाने वालों पर सरचार्ज 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर यह कर 15 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी कर दिया गया।
