घरेलू बाजारों में शुक्रवार को एक कारोबारी सत्र की सर्वाधिक बढ़त दर्ज हुई। रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक और इन्फोसिस के मजबूत प्रदर्शन के दम पर बाचार झूम उठे। बीएसई सेंसेक्स 1,031 अंक (1.8 प्रतिशत) की ऊंची छलांग लगाकर 58,991 पर पहुंच गया। एनएसई निफ्टी भी 279 अंक (1.6 प्रतिशत) उछल कर 17,360 पर बंद हुआ। पिछले साल 11 नबंवर के बाद दोनों सूचकांकों के लिए किसी एक कारोबारी सत्र की यह सबसे बड़ी तेजी रही।
दुनिया भर से मिले-जुले संकेत भी देसी बाजारों के उत्साह पर असर नहीं डाल पाए। चीन में मजबूत आर्थिक आंकड़े आने के बाद एशिया के ज्यादातर बाजारों में तेजी दिखी मगर यूरोप में महत्त्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े आने से पहले वहां के बाजारों में कमजोरी दिखी।
शुक्रवार को बढ़त दर्ज करने के साथ ही भारतीय बाजार पिछले तीन महीनों में शुद्ध गिरावट के दौर से निकलने में कामयाब रहे। हालांकि, निफ्टी मार्च में केवल 0.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज कर पाया। अगर मार्च गिरावट के साथ बंद होता तो पिछले 22 वर्षों में यह सबसे खराब कारोबारी महीना रहा होता। निफ्टी मार्च तिमाही में 4 प्रतिशत से अधिक और वित्त वर्ष में 0.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।
मॉर्गन स्टैनली की तरफ से भारतीय शेयरों की रेटिंग में सुधार के बाद बाजार में धारणा मजबूत हो गई। ऐक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस में मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा, ‘भारतीय बाजार ने वैश्विक बाजारों के साथ कदम-ताल मिलाते दिखे। गुरुवार को लगातार दूसरे दिन वैश्विक बाजारों में मजबूती दिखी। इस सप्ताह बाजारों में मजबूती जरूर दिखा है मगर आने वाले कुछ समय में उतार-चढ़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।’
इस सप्ताह के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 2.5 प्रतिशत की बढ़त दिखी। वहीं, निफ्टी स्मॉल-कैप सूचकांकन मात्र 0.8 प्रतिशत चढ़ा। शुक्रवार को बड़ी बढ़त दर्ज करने के बाद भी भारतीय बाजार अब भी दिसंबर के अपने ऊंचे स्तरों से करीब 8 प्रतिशत नीचे हैं। बाजार में गिरावट के बाद निफ्टी का पिछले 12 महीनों का मूल्यांकन 10 वर्षों के 22.4 से घटकर 21 रह गया।