पश्चिम बंगाल में भूख हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांगों पर विचार करने के लिए बुलाई गई सरकार और चिकित्सकों की बैठक बेनतीजा रही। पश्चिम बंगाल के 12 चिकित्सक संघों के प्रतिनिधियों और मुख्य सचिव मनोज पंत के बीच सोमवार को कोलकाता के स्वास्थ्य भवन में हुई बैठक में मामले का कोई हल नहीं निकल सका।
राज्यपाल द्वारा आपात बैठक बुलाने के बाद फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फेमा) ने 15 अक्टूबर को राष्ट्रव्यापी कामबंदी रोकने का ऐलान किया था। फेमा ने यह भी कहा था यदि बैठक में मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह वैकल्पिक सेवाएं बंद करेगा।
सूत्रों के अनुसार गतिरोध को हल करने के लिए सरकार कोई भी समयसीमा देने के लिए तैयार नहीं हुई। चिकित्सकों ने बैठक में स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाया।
सरकार के सूत्रों ने कहा कि निगम मंगलवार को आरजी कर मामले पर उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई में शामिल होने के लिए नई दिल्ली गए हैं। चिकित्सकों के प्रतिनिधियों ने पंत से आग्रह किया कि वे अनशन पर बैठे कनिष्ठ चिकित्सकों से सीधे जाकर बातचीत करें।
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कौशिक चाकी ने कहा, ‘बैठक बेनतीजा रही। हमने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह किसी अधिकारी को अनशन पर बैठे युवा चिकित्सकों से बातचीत के लिए भेजे और उच्चतम दर्जे वाले अधिकारी को तरजीह दी जाए। हालांकि, मुख्य सचिव ने संकेत दिया कि वह कोई समयसीमा नहीं बता सकते।’
पंत ने कहा, ‘बैठक में ढाई घंटे तक विस्तार से बातचीत हुई। अनेक चिंताएं उठाई गईं और हमने उनका संज्ञान लिया। दस मांगों में से सात को पूरा किया जा चुका है। बाकी तीन मांगों के लिए वे विशिष्ट समयसीमा का अनुरोध कर रहे थे। ये प्रशासनिक निर्णय हैं जिन पर राज्य को विचार करने की आवश्यकता है, इसलिए हम इस समय कोई समयसीमा नहीं दे सकते। हमने उनसे आग्रह किया कि वे जूनियर चिकित्सकों को उनकी भूख हड़ताल वापस लेने के लिए राजी करें, क्योंकि हम उनके स्वास्थ्य और कुशलता के बारे में चिंतित हैं।’