उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र सरकार और नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से कहा कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा (NEET-UG 2024 Exam) के आयोजन में किसी की तरफ से ‘0.001 फीसदी लापरवाही’ भी हुई हो, तो उससे हर हाल में निपटा जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की इन परीक्षाओं की तैयारी करते समय कठोर परिश्रम करना पड़ता है। इसे ध्यान में रखते हुए मामले को बहुत गंभीरता से हल किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी के अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र और एनटीए की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं से कहा, ‘परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए आपको दृढ़ रहना चाहिए। यदि कोई गलती हुई है, तो स्वीकारिए कि गलती हुई है। यह भी बताइए कि इस मामले में क्या कार्रवाई करने जा रहे हैं। कम से कम इससे आपके कामकाज में भरोसा तो पैदा होगा।’
पीठ गत 5 मई को हुई परीक्षा में छात्रों को कृपांक दिए जाने समेत अन्य शिकायतों से संबंधित दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। पीठ ने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि छात्र विशेष रूप से इन परीक्षाओं की तैयारी करते समय कितना परिश्रम करते हैं। कल्पना कीजिए कि व्यवस्था से धोखाधड़ी करने वाला कोई व्यक्ति चिकित्सक बन जाए। वह समाज के लिए कितना अधिक घातक है।’
शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं पर अन्य लंबित याचिकाओं के साथ 8 जुलाई को सुनवाई होगी। इनमें वे याचिकाएं भी शामिल हैं, जिनमें परीक्षा को नए सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
अदालत ने कहा कि एनटीए और केंद्र इन नई याचिकाओं पर दो सप्ताह के अंदर अपने जवाब दाखिल करेंगे। जब कुछ याचियों की ओर से पक्ष रख रहे एक अधिवक्ता ने परीक्षा में पूछे गए एक प्रश्न से संबंधित मुद्दा उठाया तो पीठ ने कहा, ‘वे (एनटीए और केंद्र) इस पर जवाब देंगे।’ उसने कहा, ‘पहले हम आपकी दलीलों का मकसद समझ लें। इन मामलों में हम शाम तक बैठने को तैयार हैं।’
पेपर लीक, गलत प्रश्न पत्र वितरण, फटी हुई ओएमआर शीट और 1,500 से अधिक छात्रों को कृपांक दिए जाने जैसी कई अनियमितताएं उजागर होने के बाद देशभर में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा और व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए थे। छात्रों ने देश के सात उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दाखिल कर हस्तक्षेप की मांग की थी।
हालांकि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुरुआत में नीट में पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं से इनकार किया था। लेकिन, साथ ही यह भी कहा था कि दोषी पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रधान ने रविवार को कहा था कि यदि एनटीए के बड़े अधिकारी भी इस मामले में दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी पर शिक्षा मंत्रालय से बिज़नेस स्टैंडर्ड ने प्रतिक्रिया मांगी थी, लेकिन खबर छपने तक उसका कोई जवाब नहीं आया।
उच्चतम न्यायालय ने नीट-यूजी, 2024 में कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर पिछले सप्ताह केंद्र एवं एनटीए से जवाब मांगा था। केंद्र और एनटीए ने 13 जून को शीर्ष अदालत को बताया था कि उन्होंने नीट में प्रवेश के लिए परीक्षा देने वाले 1,563 अभ्यर्थियों को प्रदत्त कृपांक (ग्रेस मार्क) निरस्त कर दिए हैं।
केंद्र ने न्यायालय को बताया था कि इन उम्मीदवारों के पास पुन: परीक्षा देने या कृपांक हटाकर प्राप्त मूलांक के आधार पर परिणाम को स्वीकार करने का विकल्प होगा।