देश का वार्षिक तापमान 2001 से 2024 के बीच औसतन 0.7 डिग्री सेल्सियस बढ़कर 25.74 सेल्सियस हो गया जो 24 साल का उच्चतम स्तर है। यह बात सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की पर्यावरण संबंधी वार्षिक रिपोर्ट में सामने आई है।
0.5 से 1 डिग्री सेल्सियस का अंतर जलवायु और पारिस्थितिकी के विभिन्न पहलुओं में उल्लेखनीय बदलाव ला सकता है। उदाहरण के लिए ज्यादा बारिश की संभावना में बदलाव, घातक लू, पानी का संकट और जैवविविधता पर प्रभाव आदि।
बढ़ते तापमान के प्रभाव लू के थपेड़ों में इजाफे के रूप में नजर आई है। 2024 में देश में 200 से अधिक लू की लहरें चलीं जो पिछले साल के 111 दिनों की तुलना में करीब दोगुनी थीं। यह 2010 के बाद से लू के थपेड़ों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। उस वर्ष 278 दिनों तक लू चली थी।
बारिश के मामले में रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में 1206 मिलीमीटर बारिश हुई जो 2001 के 1078 मिलीमीटर से अधिक थी। यह बदलाव भी बदलते जलवायु हालात की बदौलत आया है। 2024 में सर्वाधिक मासिक वर्षा 304 मिलीमीटर दर्ज की गई थी।
उच्च बारिश वाले वर्षों की बात करें तो 2013 में 1252.6 मिलीमीटर, 2019 में 1286.0 मिलीमीटर और 2022 में 1257.0 मिलीमीटर बारिश हुई थी। कम बारिश वाले वर्षों की बात करें तो 2002 में 923.7 मिलीमीटर और 2009 में 966.1 मिलीमीटर बारिश हुई थी।
2001 से 2024 के बीच ज्यादातर बारिश जून से सितंबर के बीच हुई जिससे संकेत मिलता है कि बारिश के रुझान में बदलाव आ रहा है और अब अक्टूबर में भी बारिश देखने को मिल रही है।
रिपोर्ट कहती है, ‘इन उतार-चढ़ाव के बावजूद कुल बारिश को लेकर कोई दीर्घकालिक रुझान नजर नहीं आता। 2024 के आंकड़े सामान्य मॉनसूनी बारिश के अनुरूप ही हैं।’ मंत्रालय की ओर से जारी की जाने वाली ‘एन्विस्टैट्स इंडिया 2025: एन्वॉयरनमेंट स्टैटिसटिक्स’ रिपोर्ट का यह आठवां संस्करण है और यह संयुक्त राष्ट्र के डेवलपमेंट ऑफ एन्वॉयरनमेंट स्टैटिटिक्स के फ्रेमवर्क के अनुरूप है। यह विविध पर्यावरण संबंधी विषयों और संकेतकों को लेकर व्यापक आंकड़े पेश करती है।