वित्त मंत्रालय आयकर अपीलेट ट्रिब्यूनल के अधिकार में कुछ कटौती करने का मन बना रहा है।
दरअसल, अभी ट्रिब्यूनल के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी अपील को 365 दिन से अधिक समय तक स्थगित कर सकता है। ऐसे में मंत्रालय चाहता है कि ट्रिब्यूनल के स्थगन अधिकार को कुछ कम किया जाए। हालांकि चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) ट्रिब्यूनल के पक्ष में है।
वित्तीय बिल 2008 में आयकर, 1961 की धारा 254 में संशोधन किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख है कि आयकर ट्रिब्यूनल को अधिक से अधिक 365 दिन तक अपील स्थगित करने का अधिकार है। आईसीएआई के अध्यक्ष वेद जैन का कहना है कि स्थगन आदेश के 365 दिन होने बाद अपीलकर्ता को आयकर भरना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि संशोधन प्रस्ताव 1 अक्टूबर, 2008 से प्रभावी होगा।
इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा प्रावधान किसी भी दृष्टि से तर्कसंगत नहीं है। उनका कहना है कि कई बार स्थगन आदेश तो मिल जाता है, लेकिन उस पर सुनवाई अपीलकर्ता की वजह से नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से नहीं हो पाती है। ऐसे में इस प्रावधान से समस्या खड़ी हो सकती है।
उधर, आईसीएआई इस मुद्दे को पोस्ट बजट मेमोरेंडम में उठाने की योजना बना रही है, जिसे इस महीने के अंत तक वित्त मंत्रालय को सौंपा जाना है। जैन ने बताया कि ट्रिब्यूनल का गठन कानून के तहत किया गया है।ऐसे में स्थगन आदेश जरूरत के हिसाब ट्रिब्यूनल के पास होना चाहिए।