ज्यादा तेल पीने वाली गाड़ियों की खरीदारी को हतोत्साहित करने के लिए सरकार ने बड़ी कारों, बहुद्देश्यीय वाहनों और स्पोट्र्स युटिलिटी व्हीकल्स पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है।
इन कारों पर मूल्यानुसार 24 फीसदी शुल्क के अलावा कुछ अतिरिक्त शुल्क भी लगेंगे। जिन कारों में 1500 सीसी से अधिक और 2000 सीसी से कम की क्षमता वाले इंजन लगे हैं उन पर 15,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
जबकि, 2,000 सीसी से अधिक की इंजन क्षमता वाली कारों पर यह शुल्क 20,000 रुपये का होगा। जिन कारों में 15,00 सीसी से कम की क्षमता वाले इंजन लगे हैं उनपर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया गया है। उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब कुछ हफ्तों पहले ही कार उत्पादक लागत मूल्य में बढ़ोतरी होने की वजह से (खासतौर पर स्टील की कीमत काफी बढ़ी है) कार की कीमतें बढ़ाने की घोषणा कर चुके हैं।
मारूति सुजूकी ने 20 मई को अपनी गाड़ियों के विभिन्न मॉडलों की कीमतों में 1,000 से 18,000 रुपये की बढ़ोतरी की थी। इसके दो दिन बाद ही हुंडई ने घोषणा की कि उसकी कार की कीमतों में 0.75 से दो फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। एक जून से कंपनी की कारें दो 20,000 रुपये महंगी हो गईं। आखिरकार टाटा मोटर्स भी कीमतें बढ़ाने की दौड़ में शामिल हो गयी और उसकी गाड़ियां एक से दो फीसदी महंगी हो गईं।
कंपनी के बहुद्देश्यीय वाहनों की कीमतों में भी दो से तीन फीसदी की बढ़ोतरी की गई। हालांकि मॉनसून का मौसम कार की बिक्री के लिहाज से ठंडा होता है। ऐसे में जाहिर है कि कंपनियां कुछ प्रमोशनल कदम उठाएंगी या फिर कारों पर आकर्षक छूट भी दिए जाने की उम्मीद की जा सकती है। लगभग दो हफ्ते पहले स्टील सेक्टर पर भी इनायतें बरसाई गई थीं। लोहे और स्टील के कुछ उत्पादों पर से निर्यात शुल्क पूरी तरह से हटा लिया गया था।
वहीं दूसरी ओर छड़, एंगल, शेप और कुछ उत्पादों पर लगने वाले निर्यात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया था। सरकार ने लौह अयस्क पर लगने वाले निर्यात शुल्क से सबंधित अधिसूचना वापस कर ली और आयरन कंटेंट पर 15 फीसदी का एकसमान निर्यात शुल्क लगाने की घोषणा की। अब गोवा के लौह अयस्क उत्पादकों को समय समय पर वित्त मंत्रालय को अपने निर्यात संबंधी जानकारियां उपलब्ध करानी होंगी।
शुल्क में परिवर्तन किए जाने के कदम से स्टील उत्पादों की बढ़ी हुई कीमतें को नीचे लाने में मदद मिलेगी। साथ ही मॉनसून के समय में जब मांग ऐसे भी कम होती हैं तो यह कदम कुछ राहत देने वाला हो सकता है। पर कुल मिलाकर यही नजरिया बनता है कि सरकार ने यह कदम आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर तैयार किया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस साल के अंत देश को लोकसभा चुनावों से रूबरू होना पड़ सकता है और इसे देखते हुए राजनीतिक पाटिर्यों ने कमर कसनी शुरू कर दी है।
चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों को फंड की जरूरत होती है और इसे ध्यान में रखकर ऐसे कदम उठाए जाने तय थे। हालांकि, सरकार को चाहिए कि वह स्पष्ट करे कि वह ऐसे कदम क्यों उठा रही है ताकि इन्हें लेकर आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा न हो। लोहा, स्टील, सीमेंट, स्टार्च, कोको-बटर पर चुकाए जाने वाले शुल्क का 75 फीसदी रिफंड पाने के लिए क्षेत्र आधारित उत्पाद शुल्क वापसी अधिसूचना में संशोधन किया गया है। मूल्य वर्द्धित दरों के पुनरीक्षण के लिए आवेदन जमा करने की तारीख को बढ़ाया गया है और नई इकाइयों के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए हैं।