प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज निजी कंपनियों और कृषि में अधिक निवेश का खुला समर्थन किया तथा यह भी कहा कि कारोबार को अफसरशाहों के हाथ में छोडऩे की मानसिकता बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि देश में कारोबार को अफसरशाही के हाथ सौंप देने के कारण जो ढांचा खड़ा हुआ है, उस पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन करने के नाम पर निजी कंपनियों का विरोध कर रहे विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि एक समय निजी कंपनियों को बदनाम करने से इस देश में वोट मिल जाते थे। मगर अब वक्त बदल गया है और गरीबों तथा हाशिये के लोगों के बीच संपन्नता लाने के लिए हमें ऐसे लोगों की जरूरत है, जो धन का सृजन करें।
मोदी ने संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण का उत्तर देते हुए कहा, ‘हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इस देश में शक्ति का कैसा ढांचा खड़ा हो गया है, जिसमें आईएएस अधिकारी बन जाने पर आपको उर्वरक कंपनी या रसायन की कंपनी या विमानन कंपनी तक चलाने का मौका मिल जाता है, जबकि युवा को वह मौका नहीं मिलता।’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मानती है कि विभिन्न क्षेत्रों में सरकार का हस्तक्षेप कम कर देश के युवाओं को ज्यादा मौके दिए जाने चाहिए।
मोदी ने कहा, ‘निजी कंपनियों का मनोबल गिराने और उनके योगदान को कमतर बताने से देश का या उसके युवाओं का भला बिल्कुल नहीं होगा कि तजुर्बा बताता है कि मोबाइल विनिर्माण में उतरी निजी कंपनियों के कारण ही हम गरीब परिवार के हाथ में अब मोबाइल फोन आ गया है। इसी तरह औषधि क्षेत्र में भी देश का निजी क्षेत्र कोविड के दौर में टीकों और दवाओं के जरिये मानवता की सेवा करता रहा है।’
कृषि कानूनों और देश में अधिक निजी निवेश का पुरजोर समर्थन करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार और संसद किसानों का बहुत सम्मान करती हैं और इसीलिए उनसे बात कर रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो कृषि मार्केटिंग की पुरानी व्यवस्था में ही काम करना चाहते हैं, वे उसे जारी रख सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि किसान हमेशा सरकार की सौगातों पर ही निर्भर न रहें और कृषि में अधिक निवेश आने से ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अधिक मौके उत्पन्न होंगे।’
मोदी ने कहा कि नए कृषि कानून प्रभावी होने के बाद न ही कोई मंडी बंद हुई है और न ही एमएसपी पर ही कोई असर हुआ है। उन्होंने कहा कि अव्वल बात तो यह कि एमएसपी में इजाफा हुआ है, जिस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों के प्रत्येक पहलु की चर्चा किसानों के साथ करने का प्रस्ताव दिया गया है।
मोदी ने कहा कि अगर इन कानूनों में कोई खामी है तो सरकार आवश्यक बदलाव करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा, ‘यह सदन, हमारी सरकार और हम सभी किसानों का सम्मान करते हैं और कृषि कानूनों पर उनकी चिंताएं समझने के लिए भी तैयार हैं। यही वजह है कि सरकार के शीर्ष मंत्रीगण लगातार किसानों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे हैं। हम सभी के मन में किसानों के लिए खूब सम्मान है।’ मोदी ने कहा कि जब संसद में नए कृषि कानून पारित हुए थे तब कोई भी मंडी बंद नहीं हुई थी। उन्होंने कहा, ‘इसी तरह, एमएसपी व्यवस्था भी जस की तस है और इसी आधार पर मंडियों में अनाज की खरीदारी हो रही है। ये सभी तथ्यों को कोई नकार नहीं सकता।’ कृषि कानूनों पर मोदी के भाषण के बीच कांग्रेस के सदस्य संसद से बाहर निकल गए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे किसानों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। उन्हें अपने उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इस दिशा में काम करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि कृषि हमेशा से भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है और देश में कई पर्व फसलों की बुआई और कटाई से जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन दिनों एक नया तर्क दिया जा रहा है जिससे मैं हैरान हूं। यह कहा जा रहा है कि जब कानून की मांग नहीं की थी तो फिर कानून क्यों बनाए गए! दहेज या तीन तलाक जैसे विषयों पर किसी ने कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन एक प्रगतिशील समाज के लिए इन्हें लेकर कानून लाना जरूरी था।’ उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को बातचीत के लिए आगे आने का न्योता भी दिया और कहा कि कोई त्रुटि पाए जाने पर सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है।