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पैसे हैं, फिर भी खर्च करने से डरते हैं? एक्सपर्ट के ये दमदार टिप्स तुरंत कम करेंगे घबराहट

फाइनेंशियल प्लानिंग, बजटिंग और इमरजेंसी फंड से खर्च करने का आत्मविश्वास बढ़ाएं, जानिए आसान टिप्स

Last Updated- September 09, 2025 | 3:00 PM IST
Financial Planning
भारत जैसे देश में यह डर आम है क्योंकि यहां सरकार की तरफ से पेंशन, रिटायरमेंट या हेल्थ सर्विसेज की पूरी गारंटी नहीं होती। ऐसे में लोग हमेशा यह सोचकर घबराते रहते हैं कि आने वाले कल में क्या होगा।

कई बार लोग अच्छी कमाई करने के बावजूद पैसे खर्च करने से डरते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके पास पैसे नहीं होते, लेकिन फिर भी वे सोचते रहते हैं कि कहीं भविष्य में पैसों की कमी न हो जाए। एक्सपर्ट कहते हैं कि भारत जैसे देश में यह डर आम है क्योंकि यहां सरकार की तरफ से पेंशन, रिटायरमेंट या हेल्थ सर्विसेज की पूरी गारंटी नहीं होती। ऐसे में लोग हमेशा यह सोचकर घबराते रहते हैं कि आने वाले कल में क्या होगा।

खर्च करने से डरने की वजहें

लोगों में यह डर कई कारणों से होता है। सबसे बड़ा कारण है मेडिकल खर्च। अचानक बीमारी या हेल्थ इमरजेंसी आने पर परिवार की सालों की बचत एक झटके में खत्म हो सकती है। इसके अलावा नौकरी की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बनी रहती है, खासकर उन लोगों को जो प्राइवेट कंपनियों में काम करते हैं या जिनका खुद का कारोबार है और जिनकी आमदनी हर महीने एक जैसी नहीं होती।

महंगाई भी इस डर को बढ़ाती है क्योंकि समय के साथ पैसों की कीमत कम हो जाती है और लोग सोचते हैं कि उनकी बचत भविष्य में काम नहीं आएगी। भारत का कल्चर भी एक बड़ी वजह है। यहां लोग बच्चों की पढ़ाई, शादी और माता-पिता की देखभाल के लिए बचत को जरूरी मानते हैं। ऐसे में खुद पर खर्च करना कई बार उन्हें अपराध जैसा लगता है।

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फाइनेंशियल प्लानिंग से कैसे घटता है डर

अगर लोग सही तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग बनाएं तो खर्च करने का डर काफी हद तक कम हो सकता है। जब किसी के पास बजट, निवेश और रिटायरमेंट की स्पष्ट योजना होती है, तो उसे अपने पैसों पर भरोसा रहता है। बजटिंग से यह साफ हो जाता है कि हर महीने की आमदनी कहां खर्च हो रही है और कितनी बचत हो रही है। निवेश करने से समय के साथ धन बढ़ता है और महंगाई का असर कम होता है। रिटायरमेंट फंड जैसे ईपीएफ, पीपीएफ, एनपीएस और म्यूचुअल फंड से बुढ़ापे में एक स्थायी आमदनी मिलती है। वहीं बीमा (इंश्योरेंस) परिवार को किसी भी अनहोनी या मेडिकल खर्च से बचाता है, जिससे बड़ी बचत सुरक्षित रहती है।

आसान नियम से मिलता है संतुलन

खर्च और बचत के बीच संतुलन बनाने के लिए कुछ आसान नियम भी काम आते हैं। इनमें से सबसे आसान और लोकप्रिय है 50-30-20 का नियम। इसके तहत 50 प्रतिशत आमदनी जरूरी खर्चों जैसे किराया, राशन और EMI में, 30 प्रतिशत शौक और लाइफस्टाइल पर, और 20 प्रतिशत बचत और निवेश में लगानी चाहिए। हालांकि, भारत में हर परिवार की स्थिति अलग होती है, इसलिए इस नियम को बदलना भी जरूरी हो सकता है। जैसे युवा लोग जिन पर ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं होतीं, वे 40-30-30 का नियम अपनाकर ज्यादा बचत कर सकते हैं। वहीं बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च संभालने वाले परिवारों के लिए 50-20-30 का नियम सही रहेगा।

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इमरजेंसी फंड का महत्व

खर्च करने का आत्मविश्वास बढ़ाने में इमरजेंसी फंड बहुत मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति के पास 3 से 5 लाख रुपये तक की रकम अलग रखी हो, तो मेडिकल इमरजेंसी आने पर उसे कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती। इसी तरह अगर कोई 6 से 12 महीने के खर्च जितनी रकम रिजर्व रख लेता है, तो नौकरी चली जाने या कारोबार में मंदी आने पर भी बिना तनाव के फैसले लिए जा सकते हैं।

कुल मिलाकर, जब लोगों के पास यह भरोसा होता है कि उनके पास कठिन समय से निकलने का उपाय है, तो वे बिना डर के खर्च कर पाते हैं। सही फाइनेंशियल प्लानिंग, निवेश और इमरजेंसी फंड न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा देते हैं बल्कि लोगों को अपनी जिंदगी का आनंद लेने का आत्मविश्वास भी देते हैं।

 

(नोट: यह सुझाव Moneyfront के को-फाउंडर और सीईओ मोहित गांग से बातचीत पर आधारित है।)

First Published - September 9, 2025 | 12:22 PM IST

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