एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने आयकर अधिनियम में संशोधन पेश किया है, जिससे रेट्रो कर यानी पिछली तिथि से लागू कर कानून प्रभावी रूप से खत्म हो जाएगा। इसकी वजह से केयर्न एनर्जी और वोडाफोन के साथ विवाद चल रहा था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा में कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। इसके तहत 28 मई 2012 के पहले की भारतीय परिसंपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर कर लगाने के की मांगों को वापस लिया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को यह विधेयक पहले लाना चाहिए था, हालांकि उन्होंने इसका स्वागत किया है। ध्रुव एडवाइजर्स के दिनेश कानाबार ने एक बिजनेस न्यूज चैनल से कहा, ‘पूर्वव्यापी कराधान के लिए संशोधन से सरकार को कोई राजस्व नहीं मिला है, सिर्फ बदनामी हुई है।’ सरकार ने याचियों को मूल धनराशि पूरा वापस करने का प्रस्ताव किया है, लेकिन कंपनियों को सभी मामले वापस लेने होंगे। केपीएमजी के हितेश कजारिया ने कहा, ‘इसमें देय राशि बहुत भारी भरकम है, ऐसे में यह निश्चित नहीं है कि अगर ब्याज और लागत का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जाता है तो याचिका करने वाले संतुष्ट होंगे।’ उन्होंने सीएनबीसी टीवी 18 से कहा, ‘जो क्षति मांगी गई है व अरबों डॉलर की है। मुझे संदेह है कि बड़े कारोबारी इतनी राशि छोडऩे को इच्छुक होंगे। यह मांगें बकाया हैं और मुझे नहीं पता कि यह मामला किस तरह से निपटेगा।’
ईवाई में टैक्स पार्टनर प्रणव सत्या ने कहा, ‘यह स्वागत योग्य कदम है। यह कर कानूनों में निश्चितता को बल देता है, जो निवेश के आकर्षक केंद्र के रूप में भारत पर भरोसा कायम रखने के हिसाब से अहम है।’ इस कदम से साफ सुधरी और अनुमान लगाए जाने योग्य देश होने को लेकर भारत की छवि बहाल करने में मदद मिल सकती है।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर अमरीश शाह ने कहा, ‘विदेशी निवेशकों की ओर से पूर्वव्यापी कर को खत्म करने की मांग का समाधान करने से निवेश के बेहतर केंद्र के रूप में भारत पर भरोसा बहाल होगा।’ उन्होंने कहा, ‘इससे विदेशी निवेशकों के मस्तिष्क में बहुत ज्यादा स्थिरता आएगी, जो भारत में लंबे समय के लिए निवेश या प्रवेश को इच्छुक हैं।