भारत में अमीर और अति अमीरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही अमीर लोग यानी high-net-worth individuals (HNIs) और अति अमीर यानी ultra-high-net-worth individuals (UHNIs) लग्जरी आइटमों पर खूब खर्च कर रहे हैं। लक्जरी आइटमों में अमीरों की पहली पसंद महंगी कारें हैं। निवेश के मामले में ये रियल एस्टेट को तरजीह देकर लग्जरी मकान खरीद रहे हैं। घूमने और ज्वैलरी पर खर्च करने में भी अमीर पीछे नहीं रह रहे हैं।
लेम्बोर्गिनी, पोर्श, रोल्स रॉयस जैसी लग्जरी कारें हैं अमीरों की पसंद
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह के मुताबिक 2024 में 37 फीसदी अमीरों यानी HNIs (जिनके पास कम से कम 10 लाख डॉलर की निवेश योग्य संपत्ति है) ने महंगी कारें खरीदी। जिससे लेम्बोर्गिनी, पोर्श, रोल्स रॉयस (Lamborghini, Porsche व and Rolls Royce) जैसी ब्रांडेड कारों की रिकॉर्ड बिक्री हुई। वहीं अति अमीर यानी UHNIs (जिनके पास कम से कम 3 करोड़ डॉलर की निवेश योग्य संपत्ति है) घूमने फिरने पर खूब खर्च कर रहे हैं। ये लोग छुट्टियों, लक्जरी क्रूज पर सालाना औसतन 6 करोड़ रुपये (7,20,000 डॉलर) खर्च करते हैं। भारत लक्जरी घड़ियों और विशेष आभूषणों के लिए 5वां सबसे बड़ा बाजार है, जहां कार्टियर, पाटेक फिलिप और भारतीय विरासत ब्रांडों के आभूषणों की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
अमीरों की निवेश की पहली पसंद रियल एस्टेट
अमीर लोग निवेश के लिए रियल एस्टेट को तरजीह दे रहे हैं। ये लोग अपनी निवेश राशि का 32 फीसदी रियल एस्टेट में निवेश कर रहे हैं। इस साल लक्जरी मकानों की हिस्सेदारी बढ़कर 28 फीसदी हो गई, जो कोरोना महामारी से पहले 16 फीसदी थी। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु उच्च-स्तरीय संपत्तियों के लिए पसंदीदा जगह हैं, जबकि गोवा, अलीबाग और जयपुर दूसरे घर के डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहे हैं।
अमीर 20 फीसदी निजी इक्विटी, स्टार्ट अप, ब्लॉकचैन, क्लीनटेक आदि में निवेश कर रहे हैं। 8 फीसदी अति अमीरों ने नियामकीय अनिश्चितता के बावजूद क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है। इसके अलावा लगभग 25 फीसदी अति अमीर विदेशों में खासकर उत्तरी अमेरिका और यूरोप में परिसंपत्तियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। 40 प्रतिशत से ज्यादा अति अमीर लोगों ने अपनी संपत्ति, उत्तराधिकार योजना और परोपकार का मैनेजमेंट करने के लिए फैमिली ऑफिस बनाए हैं।
भारत में कितने हैं अमीर और अति अमीर?
एनारॉक समूह के रिसर्च हेड व रीजनल डायरेक्टर प्रशांत ठाकुर कहते हैं कि भारत में अमीरों की संख्या न केवल बढ़ रही है, बल्कि उनका वैश्विक महत्व भी बढ़ रहा है। भारत UHNI जनसंख्या के मामले में विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है, जबकि एशिया में तीसरे स्थान पर है। केवल चीन और जापान ही भारत से आगे हैं। इस साल भारत में 6 फीसदी सालाना वृद्धि के साथ अति अमीरों की संख्या बढ़कर 13,600 होने की संभावना है।
2028 तक इस संख्या के 50 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत वृद्धि 30 फीसदी से कहीं अधिक है। भारत में अमीरों यानी HNIs की संख्या 8.50 लाख से अधिक है। 2027 तक इनकी संख्या बढ़कर दोगुने के करीब 16.5 लाख होने का अनुमान है। इनमें से 20 फीसदी अमीर 40 साल से कम उम्र के होंगे। जो युवा धन सृजनकर्ताओं के बढ़ते प्रभाव का संकेत है।