वित्त मंत्रालय ने तेज टीकाकरण का उल्लेख करते हुए आज कहा कि भारत इस साल के अंत तक सभी वयस्कों का टीकाकरण कर लेगा। मंत्रालय ने कहा है कि सरकार का जून में तय 67 करोड़ लोगों के टीकाकरण का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य त्योहारों के मौसम के पहले पूरा हो चुका है। अब तक 93 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं, जो सभी देशों में टीकाकरण का दूसरा बड़ा रिकॉर्ड है।
इसमें आगे कहा गया है कि टीकाकरण की मौजूदा दर दिखाती है कि देश न सिर्फ रिकवरी की राह पर है बल्कि हर्ड इम्यूनिटी की दिशा में भी प्रगति हो रही है।
मंत्रालय के मुताबिक तेजी से टीकाकरण और आवाजाही बढऩे से, जो इस समय महामारी के पहले का 90 प्रतिशत है, अर्थव्यवस्था तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है और सितंबर में इसे और गति मिलेगी।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कृषि क्षेत्र में टिकाऊ और तेज वृद्धि, विनिर्माण व उद्योग में तेज सुधार, सेवा गतिविधियां बहाल होने और राजस्व की आवक तेज होने से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था ठीक ठाक प्रगति कर रही है।’
इसमें कहा गया है कि अब तक किए गए रणनीतिक सुधारों, टीकाकरण अभियान में मील का पत्थर स्थापित करने की वजह से अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के खराब दौर से तेजी से बाहर निकल रही है।
अगस्त व सितंबर के आर्थिक संकेतकों की हाल की धारणा से पता चलता है कि व्यापक पैमाने पर रिकवरी हुई है। बिजली की खपत, रेल से माल ढुलाई गतिविधियों, ई-वे बिल, तेज जीएसटी संग्रह, राजमार्गों पर टोल संग्रह में तेज व टिकाऊ सुधार हुआ है। इसके अलावा हवाई मार्ग से ढुलाई और यात्रियों की आवाजाही बढ़ी है और डिजिटल लेन देन में तेजी आई है।
टीकाकरण की गणित की व्याख्या करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन चौथाई से ज्यादा वयस्क लोगों को कम के कम एक खुराक मिल चुकी है जबकि एक चौथाई से ज्यादा आबादी को टीके की दोनों खुराक लग चुकी है। भारत में रोजाना टीके की खुराक जून के 41.3 लाख से बढ़कर सितंबर में 78.7 लाख हो गई और इसमें 91 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है।
राज्यवार आंकड़ों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी 100 प्रतिशत आबादी का पहली खुराक का टीकाकरण कर लिया है। बहरहाल दूसरी खुराक का कवरे अभी ज्यादातर राज्यों में 40 प्रतिशत से नीचे बना हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इसमें तेजी आएगी।
इसमें कहा गया है कि बाहरी क्षेत्र ने भारत के वृद्धि संबंधी पुनरुद्धार के लिए उज्ज्वल संभावनाएं पेश करना जारी रखा है और देश के व्यापारिक निर्यात ने वित्त वर्ष 2021-22 में लगातार छठे महीने 30 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर में व्यापार घाटे के भी बढऩे के साथ, खपत के स्पष्ट प्रमाण हैं और भारत में निवेश की मांग भी बढ़ रही है। विदेशी ऋण एवं जीडीपी अनुपात सहज बना हुआ है, जो मार्च 2021 के अंत में 21.1 प्रतिशत की तुलना में जून के अंत में गिरकर 20.2 प्रतिशत हो गया।
इसमें कहा गया कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार के साथ, बैंक ऋण की वृद्धि दर 10 सितंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 5.3 प्रतिशत थी। आपूर्ति शृंखलाओं की बहाली, आवाजाही में सुधार और खाद्य महंगाई दर में नरमी के साथ, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अगस्त 2021 में चार महीने के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर वापस आ गई। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि महंगाई दर की प्रवृत्ति महामारी से प्रेरित और अस्थाई है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल बाजारों में अस्थिर कीमतों और खाद्य तेलों एवं धातु उत्पादों की कीमतों में वृद्धि चिंता का विषय बनी रह सकती है।
बहरहाल इसमें कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक रिकवरी के समक्ष चुनौतियां बनी हुई हैं और विभिन्न देशों में आर्थिक सुधार असमान है, साथ ही महंगाई का दबाव, असमान टीकाकरण आदि की समस्या बनी हुई है।