प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2017 में दिल्ली से शिमला की उड़ान के लिए एलायंस एयर को हरी झंडी दी थी, जो हवाई सेवा कनेक्टिविटी की नई शुरुआत थी। इस उड़ान को मार्च 2020 में स्थगित कर दिया गया और शिमला उड्डयन के नक्शे से गायब हो गया। अब यात्रियों के लिए अच्छी खबर है।
एयरलाइंस की योजना में दिल्ली-शिमला मार्ग उनमें शामिल है, जहां विमानन कंपनियां नागरिक उड्डयन मंत्रालय की उड़ान योजना के तहत अगले 50 दिन में सेवाएं शुरू करने जा रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 401 करोड़ रुपये की लागत से बने नए हवाईअड्डे का उद्घाटन किया और उसके बाद मंगलवार को इंडिगो ने कोलकाता और झारखंड के देवघर के बीच सेवा शुरू की।
एलायंस एयर के मुख्य कार्याधिकारी विनीत सूद ने कहा, ‘हम अपना पहला नया एटीआर 42-600 एयरक्राफ्ट जुलाई के अंत तक प्राप्त करेंगे और एक और सितंबर में। हम उम्मीद करते हैं कि नए विमान से दिल्ली और शिमला व दिल्ली और कोटा के बीच 15 अगस्त से उड़ानें शुरू हो जाएंगी। हालांकि यह हवाईअड्डों की तैयारियों पर निर्भर होगा।’
शिमला प्रमुख हवाईअड्डों में से एक है। नए रनवे से सुरक्षा की चिंता कम होगी क्योंकि इसमें सुरक्षा संबंधी अतिरिक्त कदम उठाए गए हैं। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के एक अधिकारी ने कहा कि काम 15 जुलाई तक पूरा होने की उम्मीद है और इसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की मंजूरी की जरूरत होगी।
इसके साथ ही एलायंस एयर ने दिल्ली-कुल्लू और दिल्ली धर्मशाला मार्ग पर नए एयरक्रॉफ्ट तैनात करने की योजना बनाई है। मौजूदा मार्गों पर इस समय एटीआर 72 विमान से सेवाएं दी जाती हैं, जिसमें 70 यात्रियों के लिए जगह होती है।
सूद ने कहा, ‘एटीआर 72 की तुलना में एटीआर 42-400 छोटे रनवे पर परिचालन के लिए ज्यादा बेहतर है। इसकी परिचालन लागत कम है। साथ ही इस तरह के एयरपोर्ट पर उड़ान के लिए अधिकतम वजन तय है। ऐसे में एटीआर 42 तैनात करना ज्यादा लाभदायक है।’
उन्होंने कहा, ‘इस समय हम 52 जगहों पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। कुल मिलाकर हमारा प्रदर्शन बेहतर रहा है और हम उड़ान योजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों में नई उड़ानें शुरू करने जा रहे हैं। दूसरा एटीआर 42 एयरक्राफ्ट मिलने के बाद हमारे पास 20 से ज्यादा विमानों का बेड़ा होगा और हम धीरे धीरे पड़ोसी देशों तक सेवाओं का विस्तार करेंगे।’
उड़ान योजना के तहत ओडिशा में नई उड़ानें शुरू होंगी, जब नई क्षेत्रीय एयरलाइन इंडियावन एयर कामकाज शुरू करेगी। एयरलाइंस के सीईओ अरुण कुमार सिंह ने कहा, ‘हमें पिछले महीने डीजीसीए से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट मिला है। हम कुछ अंतिम मंजूरियों का इंतजार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक भुवनेश्वर जेपोर और विजग-जेपोर बीच सेवाएं शुरू कर देंगे।’
इंडियावन एयर इन मार्गों पर सिंगल इंजन के 9 सीट वाले सेसना ग्रैंड कारवां एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करेगी। यह पहली अधिसूचित एयरलाइन है, जो वाणिज्यिक उड़ानों के लिए सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल करने जा रही है। सिंह ने कहा, ‘हमारी योजना सुरक्षित, समय से और विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने की है।’
सिंह के मुताबिक ईंधन की कीमत चिंता का बड़ा विषय नहीं है क्योंकि कंपनी एक इंजन वाले एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर रही है। मांग भी चुनौती नहीं है क्योंकि वृद्धि टियर-2 और टियर-3 शहरों से संचालित होने की उम्मीद है। सिंह ने कहा कि मुख्य चिंता छोटे हवाईअड्डों पर समयबद्धता सुनिश्चित करना है क्योंकि छोटे हवाईअड्डों पर आधुनिक नेवीगेशन उपकरण नहीं होते और लैंडिंग के लिए ज्यादा रोशनी की जरूरत होती है। साथ ही डीजीसीए ने इंडियावन एयर को सिर्फ दिन में परिचालन की मंजूरी दी है, क्योंकि बड़ा बेड़ा एक इंजन वाले विमानों का है। उन्होंने कहा, ‘इससे विमान का इस्तेमाल कम हो पाएगा।’
दरअसल हवाईअड्डे तैयार न होना एक प्रमुख वजह है, जिससे उड़ान योजना को गति नहीं मिल रही है। प्रतिकूल मौसम और खराब बुनियादी ढांचा समस्या खड़े करता है, जिससे परिचालन की निरंतरता की समस्या आती है। योजना पर कोविड-19 का भी असर पड़ा है और इससे उड़ानें कम हुई हैं। कुल मिलाकर योजना में हिस्सा लेने वाली एयरलाइंस का कामकाज बंद रहा। इनमें एयर कोस्टा, एयर कार्निवाल और एयर जूम शामिल हैं। ट्रू जेट ने फरवरी में परिचालन स्थगित कर दिया और नए निवेशकों की प्रतिबद्धता के बावजूद परिचालन शुरू नहीं हो पाया है।
44 प्रतिशत मार्ग परिचालन में इस योजना के तहत आवंटित 948 मार्गों में से अब तक सिर्फ 44 प्रतिशत चालू हुए हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की योजना के तहत 50 प्रतिशत सीटों के लिए व्यहार्यता अंतर वित्तपोषण मुहैया कराया जाता है और इसमें किराये की सीमा तय की गई है, जिससे उन कस्बों में हवाईयात्रा को प्रोत्साहित किया जा सके, जहां हवाई यातायात उपलब्ध नहीं है। इनके वित्तपोषण के लिए प्रमुख मार्गों के टिकट पर 50 रुपये प्रति टिकट शुल्क लगाया गया है।
एविएशन ब्लॉग नेटवर्क थॉट्स के संस्थापक और विमानन विशेषज्ञ अमेय जोशी ने कहा, ‘उड़ान का मकसद नए मार्गों पर परिचालन शुरू कर बाजार को गति देना है। इसके पीछे विचार था कि बाजार बगैर सब्सिडी के तैयार हो। साफ है कि यह बहुत बेहतर काम नहीं कर रहा है। मार्गों को 3 साल से ज्यादा तक चालू रख पाना चुनौती है। इसके लिए कोविड-19 को आंशिक रूप से ही आरोपित किया जा सकता है।’