दो ऐंटीबॉडी के संयोजन वाले उपचार की सिफारिश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:47 AM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ‘द बीएमजी’ पत्रिका में शुक्रवार को प्रकाशित दिशानिर्देशों के अनुसार कोविड-19 से पीडि़त ऐसे मरीज जिनके गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा है या वे मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है, उन्हें दो ऐंटीबॉडी के संयोजन वाला उपचार दिया जाना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ का गाइडलाइन डेवलपमेंट ग्रुप (जीडीजी) पैनल ने कोविड-19 मरीजों के दो भिन्न समूहों को ‘कासिरिविमाब’ और ‘इमदेविमाब’ के संयोजन वाला उपचार देने की सिफारिश की। पहले समूह में ऐसे मरीज शामिल किए गए जिन्हें गंभीर संक्रमण नहीं है लेकिन उन्हें अस्पताल में भर्ती करने का जोखिम अधिक है। दूसरे समूह में ऐसे लोग शामिल किए गए जो गंभीर संक्रमण से पीडि़त तो हैं लेकिन सीरोनेगेटिव (जिनकी जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई) हैं यानी जिनके शरीर में संक्रमण के खिलाफ ऐंटीबॉडी प्रतिक्रिया नहीं हुई। पहली अनुशंसा तीन ट्रायल में मिले नए साक्ष्यों पर आधारित है लेकिन समकक्ष अध्ययनकर्ताओं ने अभी इसकी समीक्षा नहीं की है।
ट्रायल में पता चला कि इन दो दवाओं से उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है और उनमें लक्षणों की अवधि भी घटती है जो गंभीर संक्रमण के जोखिम वाले समूह में आते हैं मसलन जिनका टीकाकरण नहीं हुआ, जो बुजुर्ग हैं या फिर वे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। दूसरी अनुशंसा एक अन्य ट्रायल से प्राप्त डेटा पर आधारित है जिसमें पता चला कि दो ऐंटीबॉडी का इस्तेमाल मौत का जोखिम और सीरोनेगेटिव मरीजों को कृत्रिम श्वास की जरूरत को कम करता है। अध्ययन में पता चला कि ‘कासिरिविमाब’ और ‘इमदेविमाब’ से उपचार करने पर गंभीर रूप से बीमार रोगियों में प्रति 1,000 में 49 कम मौत हुईं और गंभीर रूप से बीमार रोगियों में 87 कम मौत हुईं।    

First Published : September 24, 2021 | 10:58 PM IST