क्या आप सोच रहे हैं कि बाजार की उतार-चढ़ाव में कहां निवेश किया जाए? तो हाइब्रिड फंड्स आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। हाल ही में Motilal Oswal Private Wealth (MOPW) की रिपोर्ट में 2025 के पहले छह महीनों के लिए हाइब्रिड फंड्स को एक समझदारी भरी निवेश रणनीति के रूप में पेश किया गया है।
हाइब्रिड फंड्स बाजार की उठापटक के दौरान निवेशकों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। UTI Asset Management के फरहद गदीवाला कहते हैं, “ये फंड्स इक्विटी से मिलने वाले फायदे का फायदा उठाने के साथ-साथ फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करके नुकसान से बचाते हैं।” यानी, ये फंड्स आपके निवेश को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं, साथ ही अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद भी देते हैं।
मनीफ्रंट के CEO मोहित गांग के मुताबिक, हाइब्रिड फंड्स उन निवेशकों के लिए आकर्षक हो रहे हैं जो जोखिम कम करना चाहते हैं। और इसके सबसे बड़े कारण हैं- इनकी विविधता। Motilal Oswal के जयेश फरिया कहते हैं, “जब आप अलग-अलग एसेट क्लासेस में निवेश करते हैं, तो एक का नुकसान दूसरे से कवर हो सकता है,”
हाइब्रिड फंड्स आपको कम जोखिम में बेहतर रिटर्न्स देने में मदद करते हैं। ये फंड्स शेयर बाजार में अचानक गिरावट के बावजूद स्थिरता बनाए रखते हैं। गदीवाला कहते हैं, “जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो इन फंड्स पर उतना असर नहीं पड़ता।”
इसके अलावा, ये फंड्स टैक्स के मामले में भी फायदेमंद हो सकते हैं।
हालांकि हाइब्रिड फंड्स कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन बुल मार्केट्स के दौरान इनसे ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती। गदीवाला कहते हैं, “बुल मार्केट्स में, जहां इक्विटी रिटर्न्स अच्छे होते हैं, वहां हाइब्रिड फंड्स पीछे रह सकते हैं।” इसके अलावा, कुछ फंड्स के फिक्स्ड-इनकम हिस्से में क्रेडिट और ब्याज दरों का जोखिम भी हो सकता है।
आपका जोखिम उठाने का तरीका और निवेश की अवधि ही आपको सही फंड चुनने में मदद करेगी।
कंजरवेटिव हाइब्रिड फंड्स: इन फंड्स में 10-25% इक्विटी होता है। गदीवाला कहते हैं, “ये फंड्स लो-रिस्क निवेशकों के लिए अच्छे होते हैं, जो नियमित आय की तलाश में हैं।”
बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स: इनमें 40-60% इक्विटी होता है। गदीवाला कहते हैं, “ये अच्छी वृद्धि के साथ थोड़ी उतार-चढ़ाव भी दिखाते हैं।”
एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स: इनमें 65-80% इक्विटी होता है। फारिया कहते हैं, “ये फंड्स बेहतर रिटर्न्स देते हैं, लेकिन उतनी ही कम स्थिरता के साथ।”
डायनामिक एसेट अलोकेशन फंड्स: ये फंड्स बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी इक्विटी और डेट में निवेश को बदलते हैं।
इक्विटी सेविंग्स फंड्स: इनमें 30-50% इक्विटी और आर्बिट्राज होता है। गदीवाला कहते हैं, “ये डेट फंड्स से टैक्स के मामले में फायदेमंद होते हैं।”
अगर आप शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं और कम जोखिम में अच्छा रिटर्न चाहते हैं, तो ये फंड्स आपके लिए सही हो सकते हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ हाई रिटर्न्स की तलाश में हैं, तो आपको इनसे दूरी बनानी चाहिए।