वर्ष 2008-09 में न्यूनतम वैकल्पिक कर(मैट)जमा करने वाली कंपनियों को अतिरिक्त 500 करोड़ रुपये भरने पड़ेंगे। बजट में विलंबित कर और लाभांश वितरण कर को मैट के अंतर्गत लाने के प्रस्ताव के बाद ऐसा होने जा रहा है।
विलंबित कर अप्रैल 2001 से ही लगाया गया है। घोषणा से पहले मैट की गणना करते समय इन दोनों करों को बुक लाभ से हटा लिया जाता था। इस तरह से मैट 10.5 प्रतिशत पर पहुंच गया था। हालांकि इससे पहले के बजट में यह 7.5 प्रतिशत था। पिछले साल मैट भरने वाली कंपनियों में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(पीजीसीएल),मंगलूर रिफाइनरीज लिमिटेड(एमआरपीएल),वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और रिलायंस एनर्जी प्रमुख थे। मैट के तहत कंपनियों को कर जमा करने से पहले अपने लाभ का 10 प्रतिशत मैट के रूप में भरना पड़ता है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मैट को आईटी कंपनियों पर लगाया,जबकि ये कंपनियां आयकर कानून क ी धारा 10ए और 10बी के तहत कर रियायत की मांग कर रही थी। मैट को चिदंबरम ने अपने शुरुआती कार्यकाल के समय लगभग एक दशक पहले लगाया था। उस समय ये कंपनियां इस तरह का कोई कर नहीं देती थी। लेकिन दस साल पहले कर रियायत पाने वाली ये सॉ?टवेयर कंपनियां अब कर के दायरे में आ गई हैं।
