facebookmetapixel
Year Ender 2025: IPO बाजार में सुपरहिट रहे ये 5 इश्यू, निवेशकों को मिला 75% तक लिस्टिंग गेनIDFC FIRST ने HNIs के लिए लॉन्च किया इनवाइट-ओनली प्रीमियम कार्ड ‘Gaj’; जानें क्या है खासियत90% प्रीमियम पर लिस्ट हुए इस SME IPO के शेयर, निवेशकों को नए साल से पहले मिला तगड़ा गिफ्ट2026 में सोना-चांदी का हाल: रैली जारी या कीमतों में हल्की रुकावट?Gujarat Kidney IPO की शेयर बाजार में पॉजिटिव एंट्री, 6% प्रीमियम पर लिस्ट हुए शेयरGold silver price today: सोने-चांदी के दाम उछले, MCX पर सोना ₹1.36 लाख के करीबDelhi Weather Today: दिल्ली में कोहरे के चलते रेड अलर्ट, हवाई यात्रा और सड़क मार्ग प्रभावितNifty Outlook: 26,000 बना बड़ी रुकावट, क्या आगे बढ़ पाएगा बाजार? एनालिस्ट्स ने बताया अहम लेवलStock Market Update: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, सेंसेक्स 50 अंक टूटा; निफ्टी 25900 के करीबबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, 80 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस

Sugar MSP: जनवरी में बढ़ेगा चीनी का मिनिमम सेलिंग प्राइस!

चीनी की एमएसपी पर केंद्र का फैसला अगले महीने, गन्ना किसानों और मिल मालिकों को राहत की उम्मीद

Last Updated- December 13, 2024 | 5:08 PM IST
Sugar Production: The sweetness of sugar can be bitter! Huge decline of 16 percent in production कड़वी हो सकती है चीनी की मिठास! उत्पादन में आई 16 फीसदी की भारी गिरावट

केंद्र सरकार चीनी की एमएसपी यानी न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी पर फैसला अगले महीने कर सकती है। चीनी मिलों के संगठन कई साल से एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। चीनी की एमएसपी नहीं बढ़ाए जाने के कारण महाराष्ट्र की कई चीनी मिलों पर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने एमएसपी के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह से चर्चा की। शाह ने इस मुद्दे पर अगले महीने फैसला लेने की बात कही है।

केंद्र ने 6 साल पहले चीनी के एमएसपी में बदलाव किया था। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि महाराष्ट्र की कई चीनी मिलों पर वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा है क्योंकि केंद्र ने गन्ना के एफआरपी को बढ़ा दिया है, जिससे किसानों को गन्ना भुगतान की लागत बढ़ी है। बढ़ते वित्तीय बोझ का प्रभाव किसानों को गन्ना भुगतान में भी देखने को मिल सकता है। इसी कारण मिल मालिक लगातार एमएसपी में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं।

अमित शाह से मुलाकात के बाद अजीत पवार ने कहा कि उनके साथ मुलाकात चीनी के दाम को लेकर हुई। हमने उनसे चीनी एमएसपी को लेकर निवेदन किया है क्योंकि एफआरपी में लगातार वृद्धि हुई है, लेकिन चीनी एमएसपी नहीं बढ़ी है। इसीलिए चीनी उद्योग दिक्कत का सामना कर रहा है। हमने उनसे अनुरोध किया कि अभी एमएसपी बढ़ाना चाहिए, नहीं तो इंडस्ट्री जो बहुत मुसीबत में है, वह बाहर नहीं निकलेगी। पवार ने कहा कि पूरी बात सुनने के बाद शाह ने कहा कि मुझे यह मालूम है और मैं इस पर अगले महीने रास्ता निकालूंगा।

चीनी मिल मालिकों का दावा है कि वे मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं क्योंकि नए सीजन की शुरुआत के साथ ही बाजार में चीनी की कीमत गिर गई है। चीनी की कीमतों में इस गिरावट के कारण किसानों को समय पर उनके गन्ने का भुगतान करने के लिए पर्याप्त राजस्व जुटाना मुश्किल हो जाएगा।

जून 2018 में, भारत सरकार ने पहली बार चीनी एमएसपी 29 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया था। उस समय गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 2,550 रुपये प्रति टन था। हालांकि, एफआरपी में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन फरवरी 2019 से चीनी का एमएसपी अपरिवर्तित बना हुआ है। गन्ने का एफआरपी 2017-18 में 2,550 रुपये प्रति टन से बढ़कर 2024-25 सीजन में 3,400 रुपये प्रति टन हो गया। इसके विपरीत, 2018-19 से चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर बना हुआ है।

कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने भी गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी के आधार पर चीनी के एमएसपी में नियमित बदलाव की सिफारिश की है। चीनी सीजन 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ना मूल्य नीति रिपोर्ट में सीएसीपी ने कहा कि पिछले तीन चीनी सीजन के दौरान चीनी के खुदरा और थोक मूल्य के बीच अंतर में गिरावट का रुझान दिखा है। पिछले 5 सीजन के दौरान चीनी के थोक और खुदरा दोनों मूल्य एमएसपी से काफी ऊपर रहे हैं। आयोग ने सुझाव दिया है कि चीनी की कीमतें बाजार की आपूर्ति और मांग के हिसाब से तय की जानी चाहिए।

First Published - December 12, 2024 | 9:18 PM IST

संबंधित पोस्ट