पिछले सात सालों से एकता कपूर अपने सीरियल्स के जरिये भारतीय टीवी सेटों पर राज करती आ रही हैं।
पिछले सात सालों से सीरियल्स की टॉप 10 रेटिंग चार्ट में उनके सीरियल्स हमेशा टॉप पर रहे हैं। हालांकि, सास-बहू ड्रामे की इस रानी का जादू अब कम होता जा रहा है। एक दौर में स्टार पर दिए जाने वाले सीरियल्स ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ और ‘कहानी घर घर की’ के रेटिंग्स 12 प्वाइंट से भी ऊपर रहा करते थे, पर अब वक्त बदल चुका है।
अब तो इन्हें 4 की रेटिंग भी बरकार रखने के लिए खासी मश्क्कत करनी पड़ रही है। टैम मीडिया रिसर्च के मुताबिक दो से आठ मार्च के बीच ‘क्योंकि…’ की रेटिंग चार से 3.8 प्वाइंट के बीच रही है। वहीं, ‘कहानी…’ तो टॉप टेन की लिस्ट में जगह भी नहीं बना पाई है। वैसे, स्टार ही नहीं जी, सोनी और 9एक्स समेत दूसरे सभी चैनलों पर भी इसके सीरियल्स का जादू कम हो रहा है। मिसाल के तौर पर जीटीवी पर दिए जा रहे ‘कसम से’ सीरियल को ही ले लीजिए।
2007 की शुरुआत में तो इसकी रेटिंग 3.8 तक हुआ करती थी, लेकिन अब तो इसकी रेटिंग घटकर 2.8 से 2.4 पर आ गई है। साथ ही, 9एक्स पर दिखाए जा रहे बालाजी के सीरियल्स ‘क्या दिल में है’ और ‘कहें न कहें’ की रेटिंग तो एक प्वाइंट तक को भी नहीं छू पाई है। सोनी पर भी इसका सीरियल ‘कुछ इस तरह’ कोई कमाल नहीं कर पाया है।
जीटीवी के बिजनेस हेड तरुण मेहरा का कहना है कि,’पिछले पांच साल की तुलना में देखें तो हां बालाजी का जादू कम हुआ है। हालांकि, इसके लिए उनका कम और मार्केट का दोष ज्यादा है। लोग पुराने सीरियल्स से तंग आ गए हैं।’
दूसरी तरफ, दूसरे शोज का जादू ज्यादा तेजी से लोगों के सिर पर चढ़ रहा है। अब जीटीवी के एक सीरियल ‘बनूं मैं तेरी दुल्हन’ को ही ले लीजिए। इसकी रेटिंग 4.7 तक जा चुकी है। वहीं क्रिएटिव आई की सीरियल्स ‘घर की लक्ष्मी बेटियां’ और ‘मायका’ की भी रेटिंग 3.4 और 3.5 रिकॉर्ड की गई। वहीं सात फेरे की रेटिंग भी 3.7 के आस-पास रिकॉर्ड की गई।