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ताइवान से एफडीआई पर रिजर्व बैंक का सवाल

Last Updated- December 15, 2022 | 8:18 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार से जानकारी मांगी है कि क्या ताइवान को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाले उन देशों की सूची में डाला जाएगा, जिनके लिए सरकार से पहले मंजूरी लेने की जरूरत है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
ताइवान का राजनीतिक और कानूनी दर्जा विवादास्पद बना हुआ है। चीन ताइवान को अलग हुए राज्य की तरह देख रहा है, जो एक बार फिर चीन का हिस्सा होगा। हाल में हुई गतिविधियों से भारत के निर्णय लेने की प्रक्रिया और प्रभावित होगी।
ताइवान ऐसे लोगों के लिए शरणस्थल बन चुका है, जो लोकतंत्र के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर हॉन्गकॉन्ग से आ रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है। हाल के फाइनैंशियल टाइम्स के एक लेख से पता चलता है कि लंबे समय से चल रहे जनमत सर्वेक्षण से पता चलता है कि 20 प्रतिशत से भी कम ताइवानी भविष्य में चीन के साथ एकीकरण के पक्ष में हैं। हॉन्गकॉन्ग में हुई हाल की गतिविधियों के बाद संभवत: चीन भविष्य में बलपूर्वक एकीकरण के विकल्प से नहीं हिचकेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से पिछले महीने आयोजित बैठक में हिस्सा लेते हुए ताइवान ने भारत के भी समर्थन की मांग की थी।
एक वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘हमें मौखिक आश्वासन मिला है कि हॉन्गकॉन्ग को उन देशों की सूची में शामिल किया जाएगा, जिनके लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। बहरहाल ताइवान के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।’
अप्रैल महीने में इस बात को लेकर चर्चा हुई थी कि नए एफडीआई नियम हॉन्गकॉन्ग पर लागू होंगे या नहीं। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हॉन्गकॉन्ग को शामिल किया जाएगा, लेकिन ताइवान को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। सूत्रों ने कहा है कि रिजर्व बैंक की ओर से इस पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर अतुल पांडेय ने कहा, ‘ताइवान से निवेश के अवसर पर विचार करते हुए मैं इस बात को तरजीह दूंगा कि उसे एफडीआई के ऑटोमेटिक मार्ग की सूची में शामिल किया जाए, लेकिन इसे शामिल किए जाने या न शामिल किए जाने को लेकर स्थिति साफ नहीं है। ताइवान ने राजनीतिक रूप से चीन के साथ मोर्चा खोल रखा है, ऐसे में यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह पूरी तरह से स्वायत्त क्षेत्र नहीं है।’
भारत में एफडीआई की आवक के मामले में ताइवान 38वें स्थान पर है, जहां से कुल 36 करोड़ डॉलर या कुल निवेश का 0.08 प्रतिशत अप्रैल 200 से मार्च 2020 के बीच आया है। इस अवधि के दौरान चीन व हॉन्गकॉन्ग से क्रमश: 2.4 अरब डॉलर और 4.4 अरब डॉलर निवेश आया है।
हॉन्गकॉन्ग की तरह भारत में निवेश का बड़ा केंद्र न होने के बावजूद ताइवान में भी 124 एफपीआई पंजीकृत हैं, जो भारत में निवेश कर रहे हैं।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ताइवान को भी हॉन्गकॉन्ग के साथ सूची में शामिल किया जाएगा। वैश्विक रूप से यह देखा जाता है कि ताइवान चीन का हिस्सा है। उदाहरण के लिए डब्ल्यूएचओ ने ताइवान को अलग देश के रूप में चिह्नित किया है। अंतिम निर्णय लेने के पहले इन सभी बातों पर सरकार विचार करेगी।’
पिछले महीने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कस्टोडियंस से कहा था कि उन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अलग से चिह्नित किया जाए, जो चीन, हॉन्गकॉन्ग और ताइवान की मुख्य भूमि के लाभार्थी रहे हैं। इससे अनुमान लगता है कि चीन को हॉन्गकॉन्ग और ताइवान को शामिल कर परिभाषित किया गया है, हालांकि भारत के साथ इनकी जमीनी सीमा नहीं जुड़ी हुई है।
नए एफडीआई नियमों में यह प्रावधान किया गया है कि भारत के साथ जिन देशों की सीमा जमीन से जुड़ी हुई है, उन देशों से आने वाले निवेश के लिए सरकार से मंजूरी अनिवार्य होगी। इन देशों में चीन, बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, म्यांमार, नेपाल और अफगानिस्तान शामिल हैं।
भारत में बांग्लादेश से 0.8 लाख डॉलर, नेपाल से 33 लाख डॉलर, म्यांमार से 90 लाख डॉलर और अफगानिस्तान से 25 लाख डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अप्रैल 2000 से मार्च 2020 के बीच आया है। पाकिस्तान और भूटान से भारत में कोई निवेश नहीं हुआ है।
रक्षा, दूरसंचार, मीडिया, दवा और बीमा को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्रों में ऑटोमेटिक मार्ग से एफडीआई को अनुमति है। सरकार से अनुमति के बाद निवेश के मामले में संबंधित विभागों से अनुमति लेने की जरूरत होती है। ऑटोमेटिक मार्ग से निवेश के मामले में निवेशकों को निवेश के बाद रिजर्व बैंक को सूचित करना होता है।
लॉटरी कारोबार, जुआ और दांव लगाने, चिटफंडों और रियल एस्टेट सहित 9 क्षेत्रों में एफडीआई प्रतिबंधित है।

First Published - June 3, 2020 | 12:19 AM IST

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