वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में आई कमी पर राज्यों को मुआवजा देने से केंद्र सरकार के इनकार की खबर पर दुख जताते हुए पंजाब ने केंद्र सरकार द्वारा बाजार उधारी लिए जाने पर जोर दिया है, जिससे अपर्याप्त उपकर संग्रह की भरपाई की जा सके। साथ ही इस मसले के समाधान के लिए विवाद निपटान व्यवस्था बनाने की मांग की है। राज्य ने यह भी कहा है कि मुआवजा उपकर की संभावना बढ़ाने के कदम उठाए जाने की जरूरत है।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे गए पत्र में कहा है, ‘हाल की खबरों में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने संसदीय समिति को सूचित कयिा है कि उसके पास राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने के लिए न तो धन है और न ही उसकी कोई ऐसी बाध्यता है। यह पूरी तरह से एक झटका है।’
राज्यों को मुआवजा जरूरतों को पूरा करने के लिए उधारी लेने की अटार्नी जनरल की राय को खारिज करते हुए बादल ने कहा है कि यह राज्यों पर बोझ होगा क्योंकि यह महंगे दर पर उधारी होगी। उन्होंने सिफारिश की है कि उपकर संग्रह बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिस पर उपकर लगता है। बादल ने कहा है, ‘इस तरह की किसी भी कमी का समायोजन केंद्र सरकार की उधारी से की जानी चाहिए। ऐसा करना उधारी की लागत के हिसाब से ज्यादा प्रभावी होगा। राज्यों के ऊपर उधारी का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए, जो हर हाल में केंद्र सरकार द्वारा ली जाने वाली उधारी से महंगा पड़ेगा।’ बादल ने कहा कि पंजाब को जीएसटी से 45 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान हो रहा है, जो सामान्य श्रेणी के राज्यों में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में यह 60 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। यह पांचवां सबसे ज्यादा मुआवजा है, जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु से पीछे है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुझाव दिया था कि जीएसटी परिषद को केंद्र को सिफारिश करनी चाहिए कि वह राज्यों को मुआवजा के लिए उधारी की अनुमति दे। उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र की मुआवजा देने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।