Prime Minister Narendra Modi
PM Modi ने गुरुवार को तेलंगाना के हैदराबाद में स्काईरूट के इंफिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया। निजी क्षेत्र के अंतरिक्ष उद्योग के लिए यह बड़ा कदम है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को जल्द ही निजी उद्योग के लिए खोला जाएगा। इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को नई ताकत मिलेगी। सरकार ने 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो परमाणु ऊर्जा की वर्तमान क्षमता 8.8 गीगावॉट से 10 गुना अधिक है। मोदी ने कहा, ‘इससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों, उन्नत रिएक्टरों और परमाणु नवाचार में अवसर पैदा होंगे। यह सुधार हमारी ऊर्जा सुरक्षा और टेक्नॉलजी नेतृत्व क्षमता को मजबूती देगा।’ सरकार 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में परमाणु ऊर्जा
विधेयक, 2025 पेश करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलना है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए PM Modi ने कहा कि राष्ट्र अंतरिक्ष क्षेत्र में अभूतपूर्व अवसर देख रहा है और निजी क्षेत्र के साथ आने से पूरे अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में बड़ा बदलाव आ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्काईरूट का इंफिनिटी कैंपस नई सोच, नवाचार और युवा शक्ति को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि अब युवाओं की नवाचार, जोखिम लेने की क्षमता और उद्यमिता प्रवृत्ति नई ऊंचाइयों पर पहुंच रही है। मोदी ने स्काईरूट के पहले ऑर्बिटल रॉकेट, विक्रम-I का भी अनावरण किया, जिसमें उपग्रहों को कक्षा में लॉन्च करने की क्षमता है।
लगभग 2,00,000 वर्ग फुट कार्य-क्षेत्र में फैले इंफिनिटी परिसर में अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, जिसमें लॉन्चिंग वाहनों को डिजाइन, विकसित, एकीकृत और यहां तक कि परीक्षण भी किया जाता है। इसमें हर महीने एक ऑर्बिटल रॉकेट बनाने की क्षमता है। स्काईरूट भारत की अग्रणी निजी अंतरिक्ष कंपनी है, जिसकी स्थापना पवन चांदन और भरत ढाका ने की है। ये दोनों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के पूर्व छात्र और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक हैं। अब इन्होंने उद्यमिता जगत में कदम रखा है। नवंबर 2022 में स्काईरूट ने अपना सब-ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-एस लॉन्च किया था। ऐसा करने वाली यह पहली भारतीय निजी कंपनी बन गई। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इसरो ने दशकों से भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई उड़ान दी है। विश्वसनीयता, क्षमता और मूल्य के स्तर पर इस क्षेत्र में भारत की अलग पहचान बनीहै।’ उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र अब संचार, कृषि, समुद्री निगरानी, शहरी नियोजन, मौसम का पूर्वानुमान और राष्ट्रीय सुरक्षा का आधार बन गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए और इसे निजी नवाचार के लिए खोला। इसे व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाने के लिए नई अंतरिक्ष नीति भी तैयार की गई।
सरकार ने स्टार्टअप और उद्योग को नवाचार से जोड़ने के प्रयास किए और इसरो की सुविधाओं और प्रौद्योगिकी को स्टार्टअप को प्रदान करने के लिए आईएन-स्पेस की स्थापना की। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ पिछले 6-7 वर्षों में भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को खुले, सहकारी और नवाचार-संचालित पारिस्थितिकी तंत्र में बदल दिया है।’
PM Modi ने कहा कि आज देश में 300 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र को नई उड़ान दे रहे हैं। सीमित संसाधनों के साथ समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जेन-जी इंजीनियर, डिजाइनर, कोडर और वैज्ञानिक नई प्रौद्योगिकियां विकसित कर रहे हैं। आज युवा प्रणोदन प्रणाली, समग्र सामग्री, रॉकेट चरण और उपग्रह प्लेटफार्म जैसे उन क्षेत्रों में उत्साह से काम कर रहे हैं, जो कुछ साल पहले तक अकल्पनीय थे। यही वजह है कि आज वैश्विक निवेशकों के लिए भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आकर्षक निवेश क्षेत्र बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत के पास अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए विशेषज्ञ इंजीनियरों, उच्च-गुणवत्ता वाले विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र, विश्व स्तरीय लॉन्च साइटों और सबसे बड़ी बात, नवाचार को प्रोत्साहित करने वाली मानसिकता जैसी तमाम क्षमताएं हैं, जो दुनिया के कुछ ही देशों के पास हैं।’
इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा, ‘स्काईरूट के विक्रम-I ऑर्बिटल रॉकेट और इंफिनिटी कैंपस देश के न्यूस्पेस विजन को मजबूती देगा, जहां नीतिगत सुधार, सार्वजनिक निवेश और निजी नवाचार एक ही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। विक्रम-एस से विक्रम-I तक की स्काईरूट की यात्रा दर्शाती है कि कैसे भारतीय स्टार्टअप अब वैश्विक छोटे-उपग्रह बाजार के लिए लॉन्चिंग क्षमताएं बना रहे हैं। इससे इसरो पर भार कम हो रहा है और राष्ट्रीय क्षमता का विस्तार भी हो रहा है।’
(साथ में एजेंसियां)