वित्त मंत्रालय ने कॉरपोरेट भविष्य निधि(पीएफ) के तहत कर रियायत के मानदंडों को प्राप्त करने की अवधि एक साल के लिए बढ़ा दी है। ईपीएफ ऐंड एमपी कानून 1952 के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ)को 31 मार्च 2009 तक लंबित पड़े आवेदनों पर वित्त बिल 2008 के अंतर्गत सोचने का समय दिया गया है। इस आवेदनों में कर रियायत की बात की जा रही थी।
यह पीएफ ट्रस्ट के समय में किया गया दूसरा विस्तार है। इससे पहले इसके पारित होने की समय सीमा 31 मार्च 2007 थी। कॉरपोरेट भविष्य निधि के तहत वे कर्मचारी आते हैं,जिनकe ा मासिक वेतन 6500 रुपये से अधिक हो और वे सरकार के भविष्य निधि योजना के दायरे से भी बाहर हों।
संशोधन के मुताबिक धारा 17 के तहत कॉरपोरेट पीएफ में कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रोविजन कानून के लिए कर में रियायत के दावे की बात शामिल है। इस तरह पीएफ ट्रस्ट का नियंत्रण आयकर आयुक्त और भविष्य निधि आयुक्त के जिम्मे आना चाहिए।
आयकर कानून 2006 के संशोधन के तहत पीएफ ट्रस्ट को कर में छूट के लिए श्रम मंत्रालय के तहत भविष्य निधि आयुक्त से प्रमाण लेना पड़ता है। संशोधन से पहले पीएफ ट्रस्ट के अंतर्गत निवेश के मानदंड की हीं अनुमति थी,हालांकि इसकी पहचान आयकर प्राधिकरण करती थी। लेकिन जैसे हीं इसमें संशोधन हुआ,पीएफ ट्रस्ट को इस बात की शिकायत होने लगी कि भविष्य निधि आयुक्त इसके क्रियान्वयन में विलंब कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक इसक ी स्वीकृति के लिए काफी चक्कर भी काटने पड़ते थे। एक सूत्र के मुताबिक भविष्य निधि के तहत बकाये को नियंत्रित करने के संदर्भ में काफी शिकायतें आने लगी थी,जिसकी वजह से आयकर कानून में परिवर्तन की जरूरत पड़ी। आयकर विभाग ने भविष्य निधि के तहत कर रियायत को लेकर आयुक्त के बारे में मिल रही शिकायतों के कारण काफी कड़े नियम बनाए।
