…अब मरहम लगाने की कवायद

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:25 PM IST

परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण पर हिंसक विरोध तक झेल चुकी पश्चिम बंगाल सरकार अब विस्थापित किसानों के जख्मों पर पैकेज का मरहम लगा रही है।


विस्थापित किसानों के पुनर्वास के लिए अब राज्य सरकार की ओर से  बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं।विस्थापित किसानों को जेएसडब्ल्यू बंगाल स्टील और भूषण स्टील की ओर से मुफ्त में शेयर देने की घोषणा के बाद अब मुफ्त में जमीन देने की बात की जा रही है।सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के इस तरह के पुनर्वास पैकेज को पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआईडीसी) को सौंप दिया गया है। इसके तहत अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को मुआवजा के अलावा जमीन भी दी जाएगी।


दरअसल, यह पैकेज भूषण स्टील के प्रस्तावित बीस लाख टन के स्टील प्लांट और 1,000 मेगावाट क्षमता वाले बिजली संयंत्र के लिए सौंपा गया है। गौरतलब है कि यह परियोजना कोलकाता से 260 किलोमीटर की दूरी पर आसनसोल के पास सालनपुर औद्योगिक क्षेत्र में बनाया जाना है।


स्टील प्लांट की दो परियोजनाओं के तहत पांच लाख टन के कोल्ड रोल्ड और गैल्वनाइज्ड प्लांट का होगा, जिसके लिए करीब 90 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इन दोनों परियोजनाओं पर तकरीबन 9,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।


सूत्रों के मुताबिक, इस परियोजना के लिए कुल 2,500 एकड़ जमीन की जरूरत होगी, जिसके लिए बंजर व एकल फसल (जिस जमीन पर साल में एक ही फसल की पैदावार होती है) वाली जमीन की पहचान की गई है। हालांकि अधिकांश जमीन बंजर ही होगी।पुनर्वास पैकेज के तहत जिस किसान की जितनी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, उन्हें उसी अनुपात में भूमि का स्वामित्व उपलब्ध कराया जाएगा।


मुफ्त में जमीन उपलब्ध कराने का विचार राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निरुपम सेन का है। जेएसडब्ल्यू बंगाल परियोजना के लिए कंपनी ने खुद जमीन का अधिग्रहण किया था, वहीं भूषण स्टील के लिए डब्ल्यूबीआईडीसी जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। परियोजना के लिए जरूरी कुल भूमि का अधिग्रहण अगले वित्त वर्ष के अंत तक पूरा होगा।


उधर, परियोजना के लिए जिनकी जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उसके साथ भूषण स्टील मोल-तोल करने में लगी है, वहीं पुनर्वास के इस पैकेज के बारे में भी लोगों को बता रही है। कोरियाई इस्पात कंपनी पोस्को ने इस साल के शुरू में इस तरह के पुनर्वास पैकेज की घोषणा की थी।

First Published : March 31, 2008 | 1:39 AM IST