रक्षा क्षेत्र में दिसंबर से 101 उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित उपाय स्थानीय कंपनियों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं और इससे उन्हें स्थानीय निर्माण आधार खड़ा करने में मदद मिल सकती है।
रक्षा कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि यदि इस योजना पर सही तरीके से काम किया गया तो इससे भारत को इन रक्षा संबंधित उत्पादों का शुद्घ आयातक बनने के बजाय शुद्घ निर्यातक बनने में मदद मिलेगी। एक रक्षा कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘यह मेक इन इंडिया विजन कोसाकार करने की दिशा में एक अच्छा कदम होगा। इस तरह से अमेरिका सैन्य हार्डवेयर के निर्माण में विश्व दिग्गज बना। यह ऐसा निजी क्षेत्र है जो अमेरिका में आधुनिक प्लेटफॉर्म और उपकरण की आपूर्ति करता है और पूरी दुनिया इनके उत्पादों को हासिल करना चाहती है।’
सरकार को स्थानीय कंपनियों को कोस्ट-प्लस आधार पर दीर्घावधि अनुबंध देने की जरूरत है और यदि जरूरत हुई तो इन कंपनियों को अमेरिका की तरह सीएजी ऑडिट के दायरे में लाया जा सकेगा, जिससे कि ये कंपनियां मुनाफाखोर न बन सकें। उन्होंने कहा, ‘भारत कुछ भी तैयार कर सकता है और निजी क्षेत्र दीर्घावधि अनुबंधों का आश्वासन मिलने पर देश में उत्पादन के लिए वैश्विक बाजार से निवेश और भागीदार ला सकता है। भारत को ऐसे अनुबंधों के लिए भरोसेमंद कंपनियों का चयन करने की जरूरत होगी।’
लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) के अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने अब आत्मनिर्भर मिशन पर सक्रियता बढ़ानी शुरू की है। एलऐंडटी में पूर्णकालिक निदेशक और वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष (रक्षा एवं स्मार्ट टेक्नोलॉजीज) जयंत पाटिल ने कहा, ‘इस घोषणा ने भारतीय उद्योग को तैयारी के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा और दिशा प्रदान की है।’
अन्य मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि घरेलू पंूजीगत खरीद के लिए 52,000 करोड़ रुपये निर्धारित करने की घोषणा रक्षा खरीद योजनाओं पर दीर्घावधि संभावना मुहैया कराने की भारतीय कंपनियों के पुराने सुझावों को पूरा करती है। फिक्की डिफेंस कमेटी के अध्यक्ष और एयरोस्पेस ऐंड डिफेंस के समूह अध्यक्ष तथा महिंद्रा गु्रप के कार्यकारी बोर्ड सदस्य एसपी शुक्ला ने कहा, ‘भारतीय उद्योग अब अपने पूंजीगत खर्च और उत्पादन की योजना बना सकता है।’
एलऐंडटी के पाटिल का यह भी मानना है कि सरकार भविष्य में संभावित ऑर्डर की वैल्यू की समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा, ‘आज की घोषणा में सरकार ने अगले 6-7 वर्षों के दौरान भारतीय उद्योग के लिए 4 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ऑर्डर जारी किए जाने की प्रतिबद्घता जताई है। भारतीय रक्षा उद्योग के मौजूदा आकार को देखते हुए मुझे विश्वास है कि इसकी समीक्षा की जाएगी और इसे बढ़ाकर कुछ दिन पहले जारी रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवद्र्घन नीति में निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप किया जाएगा।’
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि नए नीतिगत उपाय भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी और उत्पादों में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में मददगार साबित होंगे। रेड्डी ने कहा, ‘उद्योग आयात प्रतिबंध की इस सूची में कई और उत्पाद शामिल किए जाने की संभावना देख रहा है जिससे कि भारतीय उद्योग की क्षमताओं का इस्तेमाल कर स्वदेशीकरण की प्रक्रिया को मजबूत बनाया जा सके।’
