जिमी कार्टर | फोटो क्रेडिट: Commons
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की आयु में निधन हो गया। जिमी अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे। मूंगफली किसान के परिवार में जन्में जिमी कार्टर वाटरगेट कांड और वियतनाम युद्ध के बाद राष्ट्रपति का चुनाव जीते थे, लेकिन एक उथल-पुथल भरे कार्यकाल के बाद उन्हें अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्टर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया ने एक “असाधारण पुरुष, राजनेता और मानवतावादी” को खो दिया है और उन्होंने एक प्रिय मित्र खो दिया है।
बाइडेन ने एक बयान में कहा, “देश के सभी युवाओं को उद्देश्यपूर्ण और सार्थक जीवन जीने का मतलब सीखने के लिए जिमी कार्टर को जानना चाहिए, जो सिद्धांत, विश्वास और विनम्रता से भरे व्यक्ति थे।”
बाइडेन ने आगे कहा कि कार्टर ने साबित किया था कि अमेरिका एक महान राष्ट्र हैं क्योंकि हम अच्छे लोग हैं। उन्होंने दुनिया के दिखाया कि हम सभ्य, सम्माननीय, साहसी, दयालु, विनम्र और मजबूत हैं।
उन्होंने कहा कि वे वाशिंगटन में कार्टर के लिए राजकीय अंतिम संस्कार का आदेश दे रहे हैं।
जिमी कार्टर का जन्म 1 अक्टूबर 1924 को जॉर्जिया में हुआ था। उनके पिता मूंगफली की खेती करने वाले एक किसान थे। अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से पहले कार्टर नौसेना में अपनी सेवा दे चुके थे। इसके अलावा वह जॉर्जिया के सेनेटर रहे और बाद में जॉर्जिया के गवर्नर भी बने। राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद वह मानव अधिकार संस्थाओं के लिए काम करने लगे।
इसके अलावा उन्होंने ‘कार्टर सेंटर’ नाम के एक चैरिटी की स्थापना की, जो चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काम करती थी।
‘कार्टर सेंटर’ के जरिए किए गए कामों के लिए उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।
जिमी कार्टर के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि का अगर जिक्र किया जाएगा तो उसमें सबसे पहले नाम ‘कैंप डेविड समझौते’ का लिया जाएगा। साल 1978 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात और इजरायल के प्रधानमंत्री मेनाचेम बेगिन के बीच यह समझौता हुआ था। मिडिल ईस्ट में इस समझौते से शांति की आस जगी थी और कार्टर को एक शांति समर्थक नेता के रूप में पहचान मिली थी।