निजीकरण की नई नीति के तहत केंद्र सरकार बीमा को ‘रणनीतिक क्षेत्र’ बना सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि दीर्घावधि के हिसाब से इस क्षेत्र में अधिकतम सिर्फ 4 सरकारी बीमा कंपनियां हो सकती हैं।
कुछ अन्य क्षेत्र, जिन्हें रणनीतिक क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है, उनमें रेलवे, तेल व गैस, रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं। जैसा कि पहले खबर दी गई थी, बैंकिंग को भी रणनीतिक क्षेत्र में डाला जा सकता है और सरकार कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण पर विचार कर रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में घोषित नई निजीकरण नीति के मुताबिक सरकार रणनीतिक क्षेत्रों की सूची तैयार करेगी। प्रत्येक रणनीतिक क्षेत्र में 4 से ज्यादा सरकारी कंपनियां नहीं होंगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ‘बीमा को रणनीतिक क्षेत्र में रखे जाने के मसले पर विचार किया जा रहा है।’
इस समय जीवन, सामान्य और पुनर्बीमा के क्षेत्र में 8 सरकारी बीमा कंपनियां- भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन आफ इंडिया, नैशनल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, न्यू इंडिया एश्योरेंस कॉ लिमिटेड, ओरिएंटल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में 3 गैर सूचीबद्ध सरकारी सामान्य बीमाकर्ताओं ओरिएंटल, नैशलन और यूनाइटेड इंडिा के विलय और विलय के बाद बनी इकाई को शेयर बाजार में उतारने के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को रद्द कर दिया। इसके बजाय अब अगर रणनीतिक क्षेत्र नीति के तहत इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है तो अब इनका निजीकरण किया जा सकता है।
इस सिलसिले में मसौदा कैबिनेट नोट विभिन्न विभागों को भेजा गया है और अधिकारियों को उम्मीद है कि इसे अगस्त के अंत तक मंत्रिमंडल के विचारार्थ पेश किया जा सकता है।
एक दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘नोट पर अंतरमंत्रालयी परामर्श में वक्ल लगता है। यह साफ है कि हर विभाग चाहता है कि वह अपने पीएसयू को बरकरार रखे और वह यह भी चाहता है कि उसके क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया जाए।’
सीतारमण ने निजीकरण की नई नीति की घोषणा 17 मई को की थी। रणनीतिक क्षेत्र में निजी क्षेत्र शामिल हो सकते हैं, इसकी घोषणा करते हुए सीतारमण ने कहा था, ‘अधिसूचित रणनीतिक क्षेत्रों में सिर्फ 4 सरकारी कंपनियां होंगी। उनका विलय एक साथ कर दिया जाएगा, जिससे बहुत ज्यादा सरकारी क्षेत्र न रहे।’