इस महीने चीन के साथ सीमा विवाद बढऩे और झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद भारत में कंपनियों से कहा गया है कि वे चीन से आयात में कटौती के तरीके ढूंढें। हालांकि दो बड़े उद्योगों, वाहन क्षेत्र और दवा क्षेत्र का कहना है कि आयात में कटौती की बात करना आसान है लेकिन इस पर अमल करना बेहद मुश्किल है।
कई देशों की तरह भारत भी इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जे और दवा बनाने में काम आने वाली सामग्री जैसे उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर है क्योंकि कंपनी और उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक इन्हें सस्ते में कहीं और नहीं बनाया जा सकता है या उन्हें सस्ते में कहीं और से नहीं मंगाया जा सकता है। ऐसे में आयात को रोकने या विकल्प तैयार किए बिना उन्हें महंगा करने जैसे किसी भी कदम से स्थानीय कारोबार को नुकसान पहुंचेगा।
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है, ‘हम आयात इसलिए नहीं करते कि ऐसा करना हमें पसंद है बल्कि आयात इसलिए करना पड़ता है क्योंकि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने के लिए कंपनियों को आकर्षित करने के लिए हमें अन्य देशों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी होने के साथ-साथ हमारी लागत कम करने की आवश्यकता है।’
भारत ने मार्च 2019 में खत्म हुए वित्त वर्ष में चीन से लगभग 70.3 अरब डॉलर के माल का आयात किया और चीन में महज 16.7 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जो किसी भी देश के साथ किया गया सबसे बड़ा व्यापार घाटा है। एक कारोबारी संस्था के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सरकार अब 1,173 गैर-जरूरी उत्पादों पर अंकुश लगाने के लिए कंपनियों के साथ सलाह-मशविरा कर रही है। इनमें वे खिलौने, प्लास्टिक, स्टील की वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन के विशेष पुर्जें शामिल हैं जिससे गाडिय़ों के निर्माण में मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता अभियान के हिस्से के रूप में चीन और अन्य जगहों से लगभग 300 उत्पादों का व्यापार जटिल बनाने के साथ ही आयात शुल्क बढ़ाने की योजना भी शीर्ष पर है।
कैसी प्रतिक्रिया
ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) के आंकड़ों के मुताबिक, देश के वाहन पुर्जे का एक-चौथाई से ज्यादा हिस्सा 2019 में चीन से आया जो करीब 4.2 अरब डॉलर तक का था जिसमें इंजन और ट्रांसमिशन पाट्र्स भी शामिल थे। एसीएमए में महानिदेशक विनी मेहता ने कहा इनमें से कुछ घटक महत्त्वपूर्ण है और इन्हें कहीं और से मंगाना मुश्किल है। एसीएमए के सदस्यों में बॉश, वैलियो और मिंडा इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियां शामिल हैं।
