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वित्त मंत्री स्वस्थ होंगी तो होगी चर्चा

Last Updated- December 11, 2022 | 5:26 PM IST

विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से बुधवार को भी संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बीच में ही स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों ने सभी मुद्दे छोड़कर कीमतों में बढ़ोतरी, महंगाई, रुपये के मूल्य में गिरावट पर तत्काल चर्चा कराने की मांग की जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। इसके बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल पाई।
लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल शुरू कराया। इस दौरान कुछ सदस्यों ने प्रश्न पूछे और मंत्रियों ने जवाब दिये। इस बीच, विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर एलपीजी सहित जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरें बढ़ाये जाने जैसे मुद्दों का उल्लेख किया गया था। अध्यक्ष ने नारे लगा रहे सदस्यों से कहा, ‘सदन चर्चा संवाद के लिए है, नारेबाजी के लिए नहीं है और सदन में शोर-शराबा करने वाले सदस्य सदन की गरिमा को गिरा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि हंगामा कर रहे सदस्यों का रवैया संसदीय परंपराओं के लिए उचित नहीं है क्योंकि जनता ने उन्हें तख्तियां दिखाने और नारेबाजी के लिए नहीं भेजा है।
हंगामे की वजह से राज्यसभा में बुधवार को भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया। कुल मिलाकर उच्च सदन की कार्यवाही 15 मिनट भी ठीक से नहीं चल सकी। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को अपनी बात रखने का मौका दिया। खड़गे ने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है और खाने-पीने की जरूरी चीजों की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं, जिसका परिणाम आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। नायडू ने उन्हें टोकते हुए कहा कि उन्होंने खड़गे को सिर्फ मुद्दे का उल्लेख करने को कहा है। मगर खड़गे अपनी बात कहते रहे। नायडू ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में भी महंगाई के मुद्दे पर चर्चा का सुझाव आया था और ‘मैं महंगाई पर चर्चा कराने को लेकर सहमत था लेकिन आप लोग नहीं चाहते।’
संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार किसी भी वक्त चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमित वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के स्वस्थ हो जाने के बाद सरकार महंगाई तथा कुछ आवश्यक वस्तुओं पर माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें विधायिका के कामकाज पर अंकुश लगाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। राहुल ने कई खाद्य वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि प्रधानमंत्री को जनता की बात सुननी होगी और ये जीएसटी वापस लेना होगा।
जीएसटी परिषद के फैसले लागू होने के बाद सोमवार से कई खाद्य वस्तुएं महंगी हो गई हैं। इनमें पहले से पैक और लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे आटा, पनीर और दही शामिल हैं, जिन पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना होगा। विपक्षी दल पांच प्रतिशत जीएसटी वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जिस जीएसटी परिषद की बैठक में यह फैसला हुआ था उसमें कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी शामिल थे। मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के स्थानीय निकाय के चुनाव परिणामों का उल्लेख करते हुए गोयल ने कहा कि जनता ने बता दिया है कि वे किसके साथ हैं।

First Published - July 21, 2022 | 12:49 AM IST

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