देश में टीका लगवाने वाले केवल 0.05 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी ही गंभीर रूप से कोविड से संक्रमित हुए और उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ी। फोर्टिस हेल्थकेयर ने अपने एक अध्ययन की रिपोर्ट जारी की जिसमें इस बात का जिक्र है। उसने स्वास्थ्यकर्मियों में कोविड-19 टीकाकरण के वास्तविक आंकड़े पेश किए। हालांकि फोर्टिस ने टीके के आधार पर कोई ब्योरा नहीं साझा किया। इस अध्ययन में देश के फोर्टिस हॉस्पिटल्स (इसके देहरादून अस्पताल को छोड़कर) में 16,000 से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया जिन्हें जनवरी 2021 और मई 2021 के बीच टीके की पहली और दूसरी खुराक दी गई थी। फोर्टिस ने कहा कि इस अवधि में दूसरी लहर की वह अवधि भी शामिल है जब रोजाना कोविड के 350,000- 400,000 मामले दर्ज किए जा रहे थे और स्वास्थ्यकर्मी काम में जुटे हुए थे। अस्पताल के समूह ने अपने अध्ययन के निष्कर्षों को भारत सरकार के साथ भी साझा किया है।
कोविड-19 के टीके की दोनों खुराक लेने वाले इन 16,147 स्वास्थ्यकर्मियों में से करीब 6 प्रतिशत या लगभग 968 लोग संक्रमित हुए। फोर्टिस ने कहा कि जो लोग संक्रमित हुए उनमें से लगभग 92 फीसदी घर में ही देखभाल से ठीक हो सकते थे और उनमें ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं थे। लगभग 7 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों के संक्रमित होने पर ऑक्सीजन की जरूरत महसूस हुई जबकि केवल 1 प्रतिशत (या मोटे तौर पर 9 लोगों) कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित हुए और उन्हें आईसीयू और वेंटिलेशन की जरूरत पड़ी। इसलिए टीके की दोनों खुराक लेने वाले कुल 16,147 लोगों में से केवल 0.05 फीसदी लोग ही गंभीर रूप से बीमार हुए। ब्रिटेन में स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग की एक एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंगलैंड (पीएचई) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 के टीके (फाइजर-बायोनटेक या एस्ट्राजेनेका) की एक खुराक से भी वायरस के प्रसार की दर 50 फीसदी तक घट जाती है। फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड की चिकित्सा रणनीति एवं परिचालन के समूह प्रमुख विष्णु पाणिग्रही ने कहा, ‘इस अध्ययन से स्पष्ट रूप से कुछ अहम निष्कर्ष सामने आते हैं कि देश में कोविड-19 के लिए उपलब्ध टीका उन स्वास्थ्यकर्मियों को भी वायरस से बचाव में सुरक्षा देते हैं जो सबसे अधिक जोखिम वाली स्थिति में हैं और उनके वायरस से संक्रमित होने के ज्यादा आसार हैं।
उन्होंने महसूस किया कि हमें अपने शोध और अध्ययन के निष्कर्षों का इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से करने और स्मार्ट डेटा एनालिटिक्स के जरिये करने की जरूरत है ताकि एक बड़ी आबादी में टीका लगाने को लेकर हिचकिचाहट दूर की जा सके और अफ वाहों को भी खत्म किया जा सके। आमतौर पर टीके के प्रभाव को सापेक्ष जोखिम में कमी (आरआरआर) के रूप में बताया जाता है। अध्ययन में पहले ही यह बताया गया है कि कोविड-19 के टीके लगाने से संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है।
मिसाल के तौर पर क्लीनिकल परीक्षणों में टीके के 95 फीसदी प्रभावी रहने के संकेत मिलेंगे तब कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना कम होगी।