ट्विटर ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से कहा कि केन्द्र सरकार को सोशल मीडिया खातों को ब्लॉक करने के लिए आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है जब तक कोई भी सामग्री इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 की धारा 69A के ब्लॉकिंग नियम का उल्लंघन नहीं करती हो।
धारा 69A केंद्र सरकार को किसी भी कंप्यूटर के माध्यम से जारी सूचना को फैलने से रोकने की शक्ति देता है अगर सरकार को लगता है कि यह सूचना देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ है। हालांकि सरकार को लिखित रूप से बताना पड़ता है कि इस जानकारी को क्यों रोका जा रहा है।
ट्विटर की ओर से पेश अधिवक्ता अरविंद दातार ने न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित से कहा कि जब तक कोई भी सामग्री content 69A के तहत ब्लॉकिंग नियम का उल्लंघन नहीं करती है, तब तक उसे रोकने का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
पिछली सुनवाई में दातार ने कोर्ट को बताया था कि केन्द्र सरकार की ओर से फरवरी 2021 में दिल्ली और उसके आसपास किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने खातों को ब्लॉक करने के लिए 10 ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए गए थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि इंफोरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 69A (ऑनलाइन सामग्री को अवरुद्ध करने करने की शक्ति) खातों को बड़े पैमाने पर ब्लॉक करने के बारे में नहीं कहती है।
ट्विटर ने आगे कहा कि हालांकि भारतीय कानून ट्वीट को ब्लॉक करने की इजाजत देता है लेकिन सिर्फ राजनीतिक आलोचना करने के आधार पर पूरे खाते को ब्लॉक करना वाक व अभिव्यिक्ति की स्वतंत्रता की मूल भावना और सरकार की आलोचना करने के अधिकार के खिलाफ है।
कोर्ट ने दातार से यह डेटा जुटाने को कहा था कि दुनिया के दूसरे देश इस तरह के मुद्दे का हल कैसे करते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ऑर्डर ब्लॉक करने की समय सीमा तीन माह थी लेकिन भारत में ऐसी कोई सीमा नहीं है।
इस बीच, ट्विटर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली ने भी कहा कि उपयोगकर्ताओं को उनकी सामग्री या खातों को अवरुद्ध करने के कारणों का खुलासा नहीं करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।
ट्विटर ने 1,474 अकाउंट्स और 175 ट्वीट्स में से सिर्फ 39 URL को ब्लॉक करने को चुनौती दी है।