‘क्वाड’ में शामिल चार देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान की नौसेनाओं के बीच गुआम अपतटीय क्षेत्र में गुरुवार को चार दिवसीय मलाबार युद्धाभ्यास का आगाज हुआ। यह क्षेत्र में चीन के आक्रामक रुख के मद्देनजर चार देशों के स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के लिए सहयोग को मजबूत करने के संकल्प की पृष्ठभूमि में हो रहा है। अधिकारियों ने बताया कि पश्चिमी प्रशांत में इस युद्धाभ्यास की मेजबानी अमेरिका कर रहा है जिसमें युद्धपोतों, विमानों एवं हेलीकॉप्टरों के जरिये विभिन्न जटिल अभ्यास किए जाएंगे।
अमेरिका के सातवें बेड़े ने एक बयान में कहा कि यह अभ्यास हिंद प्रशांत में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था बनाए रखने के लिए समान विचारधारा वाले देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाएगा। 25वें मलाबार अभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस ‘शिवालिक’ और पनडुब्बी रोधी आईएनएस ‘कदमत्त’ तथा ‘पी8आई’ गश्ती विमान भाग ले रहे हैं। अमेरिका ने अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए प्रशांत बेड़े का मिसाइल विध्वंसक यूएसएस बेरी, टास्क फोर्स 72 का टोही विमान और यूएसएनएस रैपाहनॉक समेत अन्य पोत एवं विमान तैनात किए हैं।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ‘मलाबार-21 में सतह रोधी, वायु रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास और अन्य सैन्य व्यूह अभ्यास तथा सामरिक अभ्यास सहित कई जटिल अभ्यास किए जाएंगे। इस नौसैन्य अभ्यास में भाग लेने वाली नौसेनाओं को एक-दूसरे की विशेषज्ञता एवं अनुभवों से लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।’ अमेरिका के सातवें बेड़े ने कहा कि अभ्यास का पहला चरण हिंद-प्रशांत की चार नौसेनाओं के लिए संयुक्त समुद्री अभियान, पनडुब्बी रोधी जंगी अभियान, हवाई जंगी अभियान, गोलीबारी करने समेत अन्य में अपने कौशल को मजबूत करने का मौका होगा।
अमेरिकी सातवें बेड़े के टास्क फोर्स (सीटीएफ) 71 के कमांडर कैप्टन चेस सार्जेंट ने कहा कि मलाबार-21 युद्ध और समुद्री कौशल को निखारने के लिए बहु-राष्ट्रीय परीक्षण का मौका देता है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी विध्वंसक हमारे भागीदारों और सहयोगियों के साथ मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता की नींव रखते हैं जो हिंद-प्रशांत के सभी देशों के लिए लाभदायक है।’
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) में एक परिचर्चा में, बुधवार को अमेरिका हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने हिंद-प्रशांत के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों के बारे में और चीन के सैन्य जमावड़े पर बात की जिसमें समुद्री क्षेत्र में उसकी सैन्य संरचना भी शामिल है। उन्होंने मलाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने वालों की संख्या में वृद्धि की संभावना का भी संकेत दिया, अगर चार देशों के नेता वर्तमान में इससे सहमत हों। भारत के आमंत्रण के बाद ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मलाबार अभ्यास में हिस्सा लिया था।
चीन वार्षिक मलाबार अभ्यास को संदेह की दृष्टि से देखता रहा है क्योंकि उसे लगता है कि युद्धाभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने का प्रयास है। मलाबार अभ्यास 1992 में हिंद महासागर में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था।